Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

शिक्षकों का आभार

शिक्षकों का आभार

शिक्षकों ने दिया मुझे,
बचपन से बहुत ज्ञान।
तभी तो पढ़ लिखकर,
बन पाया हूँ कुछ।
इसलिए मेरे दिलमें,
श्रध्दा के भाव रहते है।
और मात पिता जैसा
देता उन्हें सम्मान।
जो कुछ भी हूँ आज मैं,
बना उन्ही के कारण।
इसलिए उनके चरणों में,
अपना शीश झुकता हूँ।।

शिक्षा का जीवन में लोगों,
बहुत महत्त्व होता है।
जो इससे वंचित रहता है
उनका जीवन अधूरा है।
शिक्षा को न बाट सका
और न ही छिन सकता है।
जीवन का ये सबसे
अनमोल रत्न जो होता है।
धन दौलत तो जीवन में
आती जाती रहती है।
पर ज्ञान हमारा संग देता
जीवन की अंतिम सांसों तक।।


जितना तुम पूजते हो
अपने मात पिता को।
उतना ही तुम पूजो
अपने-अपने गुरुओं को।
देकर आदर दोनों को
एक तराजू में तौलो।
क्योंकि ये ही आधार स्तंम्भ है,
तेरे इस जीवन के।।
इसलिए तो हमसब मातापिता
और शिक्षक दिवस मानते है।।


अपने सभी पाठकों के लिए शिक्षक दिवस की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं। मेरी कविता मेरे शिक्षको के चरणों मे समर्पित है।


जय जिनेन्द्र

संजय जैन "बीना" मुंबई
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ