नन्हा सिपाही
देश हमारा कितना प्यारा ,सबकी आँखों का है तारा ।
नन्हें - मुन्ने इसके गहने,
रंग-बिरंगे कपड़े पहने ।
मिलजुल कर आपस में रहते,
चहक - चहक वो मां कहते।
माँ मुझको बन्दूक मंगा दो,
मैं सीमा पर लड़ने जाऊंगा ।
अपने देश की सीमाओं से,
दुश्मन को मार भगाऊंगा।
फिर से अपनी धरती मां को,
नहीं कभी गुलाम होने दूंगा।
सींच अपने ही खूनों से.
भारत की शान बढ़ाऊँगा ।
⇒ सुरेन्द्र कुमार रंजन
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