नारी अंग प्रत्यंग ,कमनीयता पर्याय
मुखमंडल शोभित मुस्कान,दृष्टि अंतर नेह सरिता ।
हावभाव मस्त मलंग ,
वक्ष प्रभा अमिय अनिता ।
चाल ढाल चैतन्य स्फूर्त,
सौंदर्य बिंब संसर्ग अध्याय ।
नारी अंग प्रत्यंग, कमनीयता पर्याय ।।
हिय प्रियल परिधान,
आत्मिकता चरम बिंदु ।
सरस सरल वैचारिकी,
शर्म संकोच नैसर्गिक सिंधु ।
रूप अनुपमा सम्मोहिनी,
सहज मिलन अवसर प्रदाय ।
नारी अंग प्रत्यंग,कमनीयता पर्याय ।।
बिंदी सिंदूर श्रृंगार अहम,
चूड़ी पायल मधुर खनक ।
अधर पर्याय तृषा तृप्ति,
शब्द संकेत खुशियां जनक ।
पुरात्तन संग अधुना समन्वय,
शिक्षा संग आत्मविश्वास झलकाय ।
नारी अंग प्रत्यंग, कमनीयता पर्याय।।
शील सह मर्यादा ओज,
निर्वहन नैतिक संस्कार ।
व्रत उपासना भाव तरंगिनी ,
धर्म आस्था पथ साकार ।
सृष्टि संचलन शक्ति भक्ति,
जीवन उपमित सृजन संकाय ।
नारी अंग प्रत्यंग, कमनीयता पर्याय।।
कुमार महेन्द्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
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