Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

खतरा बन चुका है मानव

खतरा बन चुका है मानव

प्रेम करूणा व सद्‌भावना से,
मानव जीवन खुशहाल था ।
इसके बिना मानव जीवन,
नरक से भी बद‌हाल था।

मानव आज रहा न मानव,
बन चुका है आज को दानव ।
माँ-बहनों की अस्मत का,
खतरा बन चुका मानव।

ना रही सुरक्षित अपने घर में,
माँ, बहना और बेटी आज ।
पिता, भाई और बेटे ही,
लूट रहे है अस्मत आज ।

द्वेष, घृणा व कटुता से,
आज समाज शर्मशार है ।
हत्या, रेप व लूटपाट ही,
आज लोगों का अधिकार है।

पता नहीं क्या हुआ समाज को ,
जो मानव इतना पतित हुआ ।
अपनी ही बहू-बेटियों की खातिर,
आज वो इतना घृणित हुआ।

सबक सिखाएं ऐसे वहशियों को,
माँ-बहनों को भयमुक्त करें।
डरी-सहमी बहू-बेटियों को,
इन दुष्टों से भयमुक्त करें।


⇒ सुरेन्द्र कुमार रंजन
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ