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हिन्दू अपने दर्शन और समावेशी दृष्टिकोण के अभ्यास से मानवता को विश्‍व बंधुत्‍व का सन्देश देने के लिए प्रतिबद्ध है:- श्री. आर. एन. रवि, महामहिम राज्यपाल, तमिलनाडु

हिन्दू अपने दर्शन और समावेशी दृष्टिकोण के अभ्यास से मानवता को विश्‍व बंधुत्‍व का सन्देश देने के लिए प्रतिबद्ध है:- श्री. आर. एन. रवि, महामहिम राज्यपाल, तमिलनाडु

आज दिनांक 11 सितम्बर 2024 (बुधवार) समय: संध्या 5:00 बजे से विश्व धर्म संसद में स्वामी विवेकानन्द के सुप्रसिद्ध शिकागो व्याख्यान (11 सितंबर, 1893) दिवस को केन्द्र विश्व बंधुत्व दिवस के रूप में मनाता है. इस अवसर पर आयोजित विमर्श कार्यक्रम 'वर्तमान वैश्विक परिदृश्य और स्वामी विवेकानन्द' मुख्य अतिथि श्री. आर. एन. रवि आई. पी. एस. (सेवानिवृत), महामहिम राज्यपाल, तमिलनाडु अपने सम्बोथान में कहा की हिन्दू अपने दर्शन और समावेशी दृष्टिकोण के अभ्यास से मानवता को विश्‍व बंधुत्‍व का सन्देश देने के लिए प्रतिबद्ध है। किन्तु ऐसा करने के लिए पहले हिन्दुओं को अपने धर्म की इस एकत्व की प्रकृति को समझना होगा। धर्म संसद में स्वामी विवेकानन्द ने हमें भी हिन्दू धर्म के एकत्व का सिद्धान्त दिया। जैसा कि भगिनी निवेदिता बहुत सुन्दर ढंग से कहा है, “धर्म संसद के समक्ष स्वामीजी के सम्बोधन में, यह कहा जा सकता है कि जब उन्होंने बोलना शुरू किया, तो यह "हिन्दुओं के धार्मिक विचार" थे, किन्तु जब उन्होंने समापन किया तब यह “हिन्दू धर्म का निर्माण” था।… उस समय दो प्रकार के बौद्धिक उफान थे, विचार की दो विशाल नदियाँ थीं, वह पीत वसनधारी संन्यासी आश्चर्यजनक ढंग से एक क्षण के लिए पूर्वी और आधुनिक दोनों के संगम का बिन्दु बन गया। हिन्दू धर्म के सामान्य आधारों का निरूपण और उनके व्यक्तित्व ने सम्पर्क में आए प्रत्येक व्यक्ति को अभिभूत कर दिया, एक ऐसा व्यक्तित्व, जिसका कुछ भी व्यक्तिगत नहीं था। वहाँ स्वामी विवेकानन्द के होठों से जो निकला, उसमें उनका अपना कोई अनुभव नहीं था। यहाँ तक कि उन्होंने अवसर का लाभ उठाकर अपने गुरु का भी उल्लेख नहीं किया। इन दोनों के स्थान पर, यह भारत की धार्मिक चेतना थी जो उनके माध्यम से बोली गई, अतीत के उन सभी मनीषियों के सन्देश को उन्होंने अभिव्यक्त किया। अतः विश्वबंधुत्व दिवस पर हमें धर्म संसद में स्वामी विवेकानन्द द्वारा दिए गए सन्देश का अध्ययन, उस पर मनन और फिर उसे व्यक्त करना है।

एवं विशिष्ट अतिथि डॉ. आर. के. सिन्हा पूर्व राज्यसभा सदस्य ने अपने उद्बोधन में कहा की संक्षेप में कहें तो विश्‍व बंधुत्‍व दिवस समारोह का ध्‍यान निम्‍नलिखित बिन्दुओं पर केन्द्रित होने चाहिए :
क) विश्‍व बंधुत्‍व पारस्परिक सम्मान के साथ समावेशी दृष्टिकोण के वातावरण में ही सम्भव है जो अस्तित्व की एकता की दृष्टि से प्राप्त होता है।

ख) हिन्दू धर्म में विविधताओं को अक्षुण्‍ण रखते हुए बंधुत्‍व का दर्शन एवं व्‍यवहार है। इसलिए, हमारा यह कर्तव्य है कि हम इसे मानव जाति को देने के लिए स्वयं को तैयार करें।

ग) धर्मान्तरण से मतभेद उत्‍पन्‍न होते हैं, बंधुत्व नहीं।

घ) अनन्‍य धर्मों को ‘यही एकमात्र मार्ग है’ को नहीं, अपितु ‘यह भी एक मार्ग है’ के दृष्टिकोण को अपनाने की आवश्यकता है।

ई) विश्‍व बंधुत्‍व का सन्देश देने में सक्षम बनने के लिए, हमें अपने लोगों को एक राष्ट्र के रूप में सामर्थ्यवान बनाने हेतु काम करना होगा।

शुभारम्भ राष्ट गान और शांति पाठ से हुआ, कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ अजय कुमार ने की और केंद्र परिचय मा० प्रवीन दभोलकर अखिल भारतीय कोषाध्यक्ष विवेकानंद केंद्र कान्यकुमरी, विवेकनद केंद्र एक अध्यात्म प्रेरित सेवा संगठन है जो मानव निर्माण से राष्ट्र पुनर्निर्माण के ध्येय से शिक्षा , स्वास्थ्य , सस्कृति, योग, व्यक्तित्व एवं नेतृत्व विकास हेतू पुरे देश में 1250 से अधिक शाखा केंद्र के माध्यम से कार्य करता हैI मंच पर नगर संरक्षक श्री निर्मल कुमार श्रीवास्तव रहे I कार्यक्रम का शुभारम्भ राष्ट गान और शांति पाठ से हुआ और समापन राष्ट गान और शांति मंत्र से हुआ I कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु कार्यकताओं ने सामूहिक प्रयास किया I
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