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रिश्तों में गहरी उलझन है

रिश्तों में गहरी उलझन है

रिश्तों में गहरी उलझन है ,
किंतु रिश्ते पावन बंधन हैं ।
समझा जो पावन रिश्ता ,
उसका कहाॅं ये अनबन है ।।
रिश्ते किसी को न छोड़ा ,
रिश्ता प्यार का संगम है ।
रिश्ते जीवन पावन बनाते ,
रिश्ता जीवन विहंगम है ।।
आचार से बनता है रिश्ता
रिश्ते से जीवन धन धन है ।
सदा आभार है रिश्ते का ,
रिश्ते में होता समर्पण है ।।
रिश्ते जीवन सफल बनाते ,
रिश्ते को सदा ही वंदन है ।
जीवन पावन बनाने वाले ,
रिश्ते का सदा अभिनंदन है ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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