Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

प्रीत की रीत पर, बंध रहे मन्नतों के धागे

प्रीत की रीत पर, बंध रहे मन्नतों के धागे

अंतर अथाह निर्मल पावन,
निहार रहा धरा गगन ।
देख सौम्य काल धारा,
निज ही निज मलंग मगन ।
परम बिंदु स्तुत कामनाएं,
चाह नेह पथ बाधा भागे ।
प्रीत की रीत पर, बंध रहे थे आईमन्नतों के धागे ।।

नवल धवल तन मन प्रभा,
स्नेहिल मृगनयनी दृष्टि ।
प्रसूनी बहार परिवेश उत्संग,
असीम चाह ज्योत्सना वृष्टि ।
मंत्रमुग्ध अंतरतम भावनाएं,
दिव्य मिलन अभिलाष जागे ।
प्रीत की रीत पर, बंध रहे मन्नतों के धागे ।।

आशा उत्साह जोश उमंग,
अंतर्मन अथाह संचरण ।
प्रीति अनुबंधित पथ गमन,
खुशियां अनंत अवतरण।
अतरंगी तिमिर अवसानित,
आलोक अनुपमा घट विराजे ।
प्रीत की रीत पर, बंध रहे मन्नतों के धागे ।।

विखंडित वैमनस्य वैर भाव ,
अखंड यशस्वी प्रेम पथ ।
प्रणय उपमित अनुभूति,
आनंद पर्याय जीवन रथ ।
उरस्थ मधुर स्वर लहरियां,
मंद मंद सौम्य मुस्कानों आगे ।
प्रीत की रीत पर, बंध रहे मन्नतों के धागे ।।

कुमार महेन्द्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ