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सच का साथ निभाना: समय का साथ स्वतः आएगा

सच का साथ निभाना: समय का साथ स्वतः आएगा

"वक्त से साथ चलना कोई ज़रूरी नही, सच के साथ चलिए एक दिन वक्त आपके साथ चलेगा।" यह उद्धरण हमें जीवन का एक गहरा सत्य बताता है। हम अक्सर समाज के दबाव में आकर, दूसरों के साथ चलने की होड़ में, अपने मूल्यों और विश्वासों से समझौता कर लेते हैं। लेकिन इस उद्धरण का संदेश है कि हमें समय के साथ चलने की चिंता करने के बजाय, सत्य के साथ चलना चाहिए।


समय अस्थायी है, सत्य शाश्वत: समय लगातार बदलता रहता है। फैशन बदलते हैं, रिश्ते बदलते हैं, और समाज भी बदलता रहता है। लेकिन सत्य हमेशा सत्य ही रहता है। सच के रास्ते पर चलने से हम न केवल अपनी आत्मा को शांत रखते हैं, बल्कि दूसरों के लिए भी एक प्रेरणा बन सकते हैं।


सच के साथ चलने के फायदे:


आत्मविश्वास: जब हम सच बोलते हैं एवं सच के रास्ते पर चलते हैं, तो हमें अपने फैसलों पर पूरा विश्वास होता है।


सम्मान: सच्चे लोग दूसरों का सम्मान करते हैं और दूसरों का सम्मान भी पाते हैं।


शांति: सच छुपाना एक बोझ होता है। सच बोलने से मन शांत हो जाता है।
सफलता: सच के रास्ते पर चलने से दीर्घकालिक सफलता मिलती है।


कैसे सच के साथ चलें:


आत्मनिरीक्षण: अपनी आंतरिक आवाज को सुनें और अपने मूल्यों को पहचानें।


सच बोलें: चाहे परिणाम कुछ भी हों, हमेशा सच बोलने की कोशिश करें।


नैतिक मूल्यों का पालन करें: अपने जीवन में नैतिक मूल्यों को महत्व दें।
दूसरों को प्रेरित करें: सच के महत्व को दूसरों को समझाएं।


सच के रास्ते पर चलने से हम न केवल अपने जीवन में शांति और संतुष्टि पा सकते हैं, बल्कि दूसरों के लिए भी एक प्रेरणा बन सकते हैं। आइए, हम सभी सच के साथ चलने का संकल्प लें।


. "सनातन"
(एक सोच , प्रेरणा और संस्कार) 
 पंकज शर्मा (कमल सनातनी)
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