BOBATH तकनीक लकवाग्रस्त मरीजों की जीवनी शैली एवं कार्य क्षमता बढ़ाने में कारगर

BOBATH तकनीक लकवाग्रस्त मरीजों की जीवनी शैली एवं कार्य क्षमता बढ़ाने में कारगर

"BOBATH तकनीक लकवाग्रस्त मरीजों की जीवनी शैली एवं कार्य क्षमता को बढ़ाने में बहुत ही उपयोगी है" उक्त उद्गार बिहार कालेज आफ फिजियोथेरेपी एंड आक्यूपेशनल थेरेपी विकलांग भवन अस्पताल कंकड़बाग पटना के तत्वावधान में आयोजित "विश्व फिजियोथेरेपी दिवस" के अवसर पर आयोजित समारोह में AIIMS नई दिल्ली के वरीय फिजियोथेरेपिस्ट डॉ प्रभात रंजन ने व्यक्त किए।
कार्यक्रम की शुरुआत मानव श्रृंखला बनाकर किया गया। इसके बाद कालेज के सभागार में पोस्टर प्रेजेंटेशन हुआ ।कार्यक्रम का उद्घाटन विकलांग भवन अस्पताल, पटना के विभागाध्यक्ष डॉ किशोर कुमार, फिजियोथेरेपी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ मनोज कुमार, आक्यूपेशनल थेरेपी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ प्रियदर्शी आलोक, एम्स नई दिल्ली के वरीय फिजियोथेरेपिस्ट डॉ प्रभात रंजन , एकेडमिक इंचार्ज डॉ ए के जायसवाल एवं डॉ उमेश कुमार, डॉ सुभद्रा, डॉ उदय कुमार द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। इसके बाद स्वागत गान द्वारा अतिथियों का स्वागत किया गया। विकलांग भवन अस्पताल के विभागाध्यक्ष डॉ किशोर कुमार द्वारा स्वागत भाषण दिया गया।
इसके बाद"विश्व फिजियोथेरेपी दिवस" के थीम "लो बैक पेन"पर डॉ इमरान हुसैन के द्वारा पेपर प्रस्तुत किया गया। कमर दर्द के कारण एवं बचाव पर विस्तृत चर्चा की गई। तदोपरांत आईं सी यू में फिजियोथेरेपी की महत्वपूर्ण भूमिका पर आधारित नाटक प्रस्तुत किया गया। सभी कलाकारों ने बड़ी ही जीवंत भूमिका निभाई। इस कार्यक्रम के उपरांत एम्स नई दिल्ली के वरीय फिजियोथेरेपिस्ट डॉ प्रभात रंजन के द्वारा "BOBATH TECHNIQUE "पर सी एम ई एवं कार्यशाला आयोजित की गई।इस तकनीक के द्वारा न्यूरोलॉजिकल कंडीशन(लकवा) मरीजों की जीवन शैली एवं कार्य क्षमता को बढ़ाने / इंप्रूव करने में बहुत ही उपयोगी है।
लंच ब्रेक के बाद द्वितीय सेशन में कालेज के छात्र-छात्राओं द्वारा मंत्र - मुग्ध करने वाला सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया।अंत में प्रमाण पत्र वितरित किया गया। उत्कृष्ट सेवा के लिए अवकाश प्राप्त ट्यूटर हरिशंकर शर्मा को "लाईफ टाईम एक्चीवमेंट अवार्ड" से सम्मानित किया गया। मंच संचालन डॉ संतोष कुमार ने किया। धन्यवाद ज्ञापन फिजियोथेरेपी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ मनोज कुमार ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ रंजनीश विद्यार्थी,डॉ देवव्रत, डॉ शैलेश कुमार, डॉ कुंदन, डॉ निरुपमा, डॉ निलय, डॉ प्रमोद भारती, डॉ भूलन, डॉ पूर्णिमा, डॉ सोमा, डॉ आरती, डॉ निवेदिता , डॉ नीतू आदि ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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