Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

अक्टूबर 2024 के कुछ महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार

अक्टूबर 2024 के कुछ महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार


लेखक: रवि शेखर सिन्हा उर्फ आचार्य मनमोहन। ज्योतिष मार्तंड एवं जन्म कुंडली विशेषज्ञ।

हर हर महादेव!!

मैं आप सबको और आप सबके हृदय में विराजमान ईश्वर को प्रणाम करता हूं और धन्यवाद करता हूं। अंग्रेजी कैलेंडर का अक्टूबर महीना हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन और कार्तिक महीने का संगम होता है। इस वर्ष सन 2024 के अक्टूबर महीने में अश्विन महिना के साथ-साथ 19 अक्टूबर से कार्तिक मास आरंभ हो जाएगा। जहां एक तरफ आश्विन मास में मां जगत जननी जगदंबा दुर्गा जी की आराधना विशेष रूप से की जाती है। वहीं कार्तिक महीना जाना जाता है भगवान सूर्य के विशेष पावन पर्व, छठ पर्व के रूप में।

कार्तिक महीना धनतेरस, दीपावली, भैया दूज, चित्रगुप्त पूजा, गोवर्धन पूजन, देव उठान एकादशी, माता महालक्ष्मी का जन्मोत्सव, कोजागरी पूर्णिमा, डांडिया रास (रासलीला की रात्रि) अर्थात् शरद पूर्णिमा, महर्षि वाल्मीकि जी का जन्म उत्सव और महर्षि पराशर ऋषि का जन्मोत्सव के लिए भी जाना जाता है। कुल मिलाकर यदि अश्विन और कार्तिक महीने को त्योहारों का महीना कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।

आश्विन और कार्तिक माह के अधिपति देवी देवताओं को नमन करते हुए, उन्हें प्रणाम करते हुए आईए आरंभ करते हैं आश्विन एवं कार्तिक मास, श्री विक्रम संवत् 2081 अर्थात् अक्टूबर 2024 के कुछ महत्वपूर्ण व्रत और त्योहारों के बारे में।

आश्विन शुक्ल पक्ष में चतुर्थी तिथि की वृद्धि हो जाने के कारण और नवमी तिथि का क्षय हो जाने के कारण यह पक्ष पूरे 15 दोनों का हो गया है। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में आदिशक्ति भगवती दुर्गा के नौ रूपों का क्रमशः महोत्सव के साथ पूजन अर्चन करने के लिए तथा मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम रावण के युद्ध से अन्याय पर न्याय के विजय का पखवारा है। इसे हम शारदीय नवरात्र के रूप में मनाते हुए प्रतिपदा को घर-घर में कलश स्थापित कर अथवा अपनी शक्ति सामर्थ्य के अनुरूप अन्य रूप से पूजन कर दुर्गा सप्तशती का पाठ अनुष्ठान कर मनाते हैं। शारदीय नवरात्र का कलश स्थापना प्रतिपदा तिथि गुरुवार 3 अक्टूबर को दिन में 3:32 के पहले हस्त नक्षत्र में किसी भी समय किया जा सकता है। उसके पश्चात् चित्रा नक्षत्र आरंभ हो जाएगा जिसमें कलश स्थापना नहीं करना चाहिए।
2 अक्टूबर बुधवार को स्नान दान श्राद्ध की अमावस्या है। इस अमावस्या को सर्वपैतृ अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। आज के दिन सभी पितरों का सम्मान पूर्वक विसर्जन किया जाता है। बुधवार को अमावस्या पड़ने के कारण पितृ विसर्जन अत्यंत पुण्य फलकारी होगा। ब्राह्मणों को श्री महा विष्णु का स्वरूप मानते हुए उनको भोजन कराना श्रद्धापूर्वक दान करने से परिवार में सुख शांति बनी रहती और वंश वृद्धि होती है।

आज भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्मोत्सव भी मनाया जाएगा। आज ही भारतवर्ष के कर्मठ पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री का भी जन्मोत्सव मनाया जाएगा।

3 अक्टूबर गुरुवार को शारदीय नवरात्र का पहला दिन होगा। आज प्रत्येक सनातनी के घर में मां जगदंबा की विशेष पूजा अर्चना करने के लिए कलश स्थापना की जाएगी। आज से 9 दिनों तक चलने वाला नवरात्र का आरंभ होगा और दसवें दिन विजयदशमी का त्यौहार पूरे विश्व में धूमधाम से मनाया जाएगा। इस शारदीय नवरात्र के प्रथम दिवस कलश स्थापना का मुहूर्त दिन के 3:32 से पूर्व मिल रहा है। उसके पश्चात् चित्रा नक्षत्र प्रारंभ होगा। जिसमें कलश स्थापना नहीं करना चाहिए। इस प्रकार पूरा दिन कलश स्थापना के लिए अत्यंत शुभ है। किंतु इनमें से भी विशेष रूप से अभिजीत मुहूर्त में कलश स्थापना करना विशेष शुभ फलदायक माना जाता है। भारतवर्ष के पूर्व अक्षांश और पश्चिम अक्षांश पर अलग-अलग समय होगा।

बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश में अभिजीत मुहूर्त में घट स्थापना करना हो तो उसका मुहूर्त होगा दोपहर 11:14 से 12:02 के बीच और यदि पश्चिम अक्षांश पर समय की गणना करें विशेष रूप से महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक इत्यादि स्थानों पर तो अभिजीत मुहूर्त का समय होगा दोपहर 12:04 से 12: 51.

आज महाराज अग्रसेन का जन्मोत्सव ही मनाया जाएगा।

आज मां जगदंबा के प्रथम स्वरूप में माता शैलपुत्री का पूजन होगा।

4 अक्टूबर शुक्रवार को चंद्र दर्शन होगा। आज मां जगदंबा के दूसरे स्वरूप में माता ब्रह्मचारिणी का पूजन होगा।

5 अक्टूबर शनिवार को मां जगदंबा के तीसरे स्वरूप में माता चंद्रघंटा का पूजन होगा।

6 अक्टूबर रविवार को मां जगदंबा के चौथे स्वरुप में कुष्मांडा देवी का पूजन होगा। आज वैनायकी श्री गणेश चतुर्थी का व्रत भी होगा।

7 अक्टूबर सोमवार को मां जगदंबा के पांचवे स्वरुप में स्कंद माता का पूजन होगा।

आज उपांग ललिता व्रत भी होगा। यह व्रत महाराष्ट्र प्रांत में विशेष रूप से प्रसिद्ध है।

8 अक्टूबर मंगलवार को मां जगदंबा के छठे स्वरूप में माता कात्यायनी का पूजन होगा।

9 अक्टूबर बुधवार को मां जगदंबा के सातवें स्वरूप में माता कालरात्रि का पूजन होगा । आज रात्रि में निशा पूजा होगी।माता सरस्वती का आवाहन आज किया जाएगा।

10 अक्टूबर गुरुवार को मां जगदंबा के आठवें स्वरूप में माता महागौरी का पूजन किया जाएगा। आज से सर्वत्र मां दुर्गा के पंडालों को दर्शन के लिए खोल दिए जाएंगे। आज दोपहर 12:30 तक सप्तमी तिथि होने के कारण माता सरस्वती की विशेष पूजा की जाएगी।

11 अक्टूबर शुक्रवार को नवमी तिथि के क्षय हो जाने के कारण अष्टमी नवमी संयुक्त तिथि मिल रही है। जिसे दुर्गा अष्टमी के रूप में बड़े धूमधाम से मनाया जाएगा। आज ही महा नवमी भी मनाया जाएगा। आज के दिन सभी भक्त जन दुर्गा अष्टमी का व्रत करते हैं और पिछले 9 दिनों से चली आ रही नवरात्रि की पूजा संपन्न करते हुए हवन यज्ञ का कार्यक्रम भी आज ही संपन्न करते हैं।आज माता महागौरी की विशेष पूजा की जाएगी, जो माता का आठवां स्वरूप होता है और दोपहर के बाद मां जगदंबा के नवम स्वरूप में माता सिद्धिदात्री की भी पूजा और दर्शन किए जाएंगे।

12 अक्टूबर शनिवार को विजयदशमी का त्योहार पूरे विश्व में धूमधाम से मनाया जाएगा। मां दुर्गा की विशेष पूजा अर्चना की जाएगी। आज के ही दिन भगवान श्री राम ने रावण का वध किया था। अन्याय पर न्याय के जीत के प्रतीक के स्वरूप में विजयदशमी बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। आज अपराजिता पूजन भी किया जाता है। शस्त्र पूजन किया जाता है। शमी पूजन किया जाता है और नवरात्र के समय 9 दिनों तक कलश के नीचे रखे हुए जौ के छोटे-छोटे पौधे जयंती को अपने सिर और दाहिने कान पर रखकर विशेष शक्ति और आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। आज नीलकंठ पक्षी के दर्शन करने का विशेष शुभ फल माना जाता है। सर्वत्र दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन आज के दिन ही किया जाएगा। श्रवण नक्षत्र में विसर्जन करने का विधान है। आज के दिन पिछले 9 दिनों से चले आ रहे हैं नवरात्र व्रत की परणा भी होगी जो प्रातः काल ही कर लिया जाएगा।

शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार मां दुर्गा का आगमन यदि गुरुवार के दिन होता है तो ऐसी मान्यता है की माता डोला अर्थात खटोला पर सवार होकर आती हैं। जिसे बेहद अशुभ माना जाता है। किंतु यदि बुधवार को मां जगदंबा का आगमन होता है तो उसे नौका पर आगमन माना जाता है, जो भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला होता है। इस वर्ष दो मान्यताएं हैं उदया तिथि के आधार पर यदि देखें तो 3 अक्टूबर को गुरुवार पड़ जाता है। जिसे माना जाएगा की माता खटोला पर सवार होकर आगमन कर रही हैं। किंतु सामान्य रूप से तिथि की गणना की जाए तो 2 अक्टूबर बुधवार की रात 12:18 के बाद प्रतिपदा तिथि प्रवेश कर रही है और सनातन पंचांग के अनुसार सूर्योदय के उपरांत ही दिन परिवर्तित होता है। अतः सत्य यही है की माता का आगमन बुधवार को हो रहा है जो अत्यंत शुभ फलदायक है। अर्थात् मां जगदंबा नौका पर आगमन कर रही हैं जो भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला है।

किंतु मां दुर्गा का प्रस्थान मुर्गे के ऊपर हो रहा है जो की बेहद अशुभ माना जाता है। जिसके कारण जनमानस में व्याकुलता बढ़ेगी। परेशानियां बढ़ेंगी। लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। अतः इस नवरात्रि श्रद्धा भक्तिपूर्वक घर परिवार, देश और समाज के हित में सबके कल्याण की कामना से पूजा अर्चना करना चाहिए।

13 अक्टूबर रविवार को पापांकुशा एकादशी का व्रत गृहस्थ और वैष्णव दोनों के लिए सर्वमान्य होगा। आज के दिन काशी के नाटी इमली नामक स्थान पर राम भरत मिलाप का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है।

14 अक्टूबर सोमवार को पद्मनाभ द्वादशी है।

15 अक्टूबर मंगलवार को भौम प्रदोष व्रत होगा।

16 अक्टूबर बुधवार को कोजागरी पूर्णिमा होगी। आज व्रत की पूर्णिमा है। आज रात्रि में माता महालक्ष्मी का जन्मोत्सव विशेष धूमधाम से मनाया जाएगा। बंगाल प्रांत में इसे लक्ष्मी(लखी) पूजा के नाम से जाना जाता है। आज की रात माता लक्ष्मी और कुबेर आदि का विशेष पूजन किया जाता है और पूरी रात घी का दीपक मुख्य द्वार पर प्रज्वलित करना अत्यंत श्रेष्ठ माना जाता है। आज खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में रात भर रखना चाहिए और उसे प्रातः काल प्रसाद के रूप में ग्रहण करना चाहिए। आज के ही दिन भगवान श्री कृष्ण ने रासलीला रचाई थी।

17 अक्टूबर गुरुवार को स्नान दान की पूर्णिमा होगी। आज महर्षि वाल्मीकि का जन्म उत्सव मनाया जाएगा। आज ही महर्षि पराशर ऋषि का भी जन्मोत्सव मनाया जाएगा।

18 अक्टूबर शुक्रवार से कार्तिक मास आरंभ हो जाएगा।

20 अक्टूबर रविवार को संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी का व्रत होगा।
आज के व्रत को महिलाएं विशेष रूप से धारण करती हैं। जिसे करवा चौथ के नाम से भी जाना जाता है और सांय काल चंद्रोदय के बाद चंद्रमा की विशेष पूजा की जाती है। महिलाएं अपने पति की मंगल कामना और उनकी लंबी आयु के लिए यह व्रत रखती हैं।

24 अक्टूबर गुरुवार को अहोई अष्टमी का व्रत होगा। आज राधा अष्टमी का भी व्रत होगा। अन्य मान्यताओं के अनुसार आज के दिन राधा रानी का जन्म उत्सव मनाया जाएगा।

28 अक्टूबर सोमवार को रंभा एकादशी का व्रत गृहस्थ और वैष्णव दोनों ही के लिए सर्वमान्य होगा। आज प्रदोष व्यापिनी तिथि के अनुसार गोवत्स द्वादशी भी मनाया जाएगा।

29 अक्टूबर मंगलवार को प्रदोष व्रत होगा।

आज धन त्रयोदशी भी पूरे विश्व में धूमधाम से मनाई जाएगी। प्रदोष व्यापिनी तिथि मिलने के कारण आज सायं काल धनतेरस का प्रसिद्ध त्योहार भी मनाया जाएगा। आज के दिन भगवान धन्वंतरि की विशेष पूजा अर्चना करने से पूरे वर्ष स्वास्थ्य अच्छा रहता है और सोना, चांदी, धातु ,बर्तन, वस्त्र इत्यादि खरीदने से पूरे वर्ष सुख संपन्नता बनी रहती है।

30 अक्टूबर बुधवार को मासिक शिवरात्रि का व्रत होगा। आज नरक चतुर्दशी का भी व्रत होगा। दक्षिण भारत की मान्यताओं के अनुसार आज सायं काल मेष लग्न में श्री हनुमान जी का जन्म माना जाता है। अतः सायं काल मेष लग्न से लेकर अगले दिन प्रातः सूर्योदय से पूर्व श्री हनुमान जी का दर्शन करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करना अत्यंत श्रेष्ठ माना जाता है।

31 अक्टूबर गुरुवार को दीपावली का पावन त्योहार पूरे विश्व में अत्यंत श्रद्धा भक्ति के साथ धूमधाम से मनाया जाएगा। आज प्रातः काल सूर्योदय से पूर्व श्री हनुमान जी का दर्शन करना श्रेष्ठ पुण्य फलदायक माना जाता है। प्रदोष रात्रि व्यापिनी अमावस्या मिलने के कारण आज दीपावली का पावन त्यौहार भी मनाया जाएगा। प्रदोष काल में और महानिशा बेला में स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए माता श्री लक्ष्मी, श्री गणेश, श्री कुबेर, श्री इंद्रादिदशदिगपाल का पूजन बड़े ही श्रद्धा भक्ति और विश्वास के साथ संपन्न किया जाएगा।


विशेष टिप्पणी:

10 अक्टूबर गुरुवार की रात 4:36 पर भगवान सूर्य चित्रा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। जिसके कारण वायु वेग के साथ सामान्य वर्षा होने के योग मिल रहे हैं। 17 अक्टूबर गुरुवार की रात 9:51 पर भगवान सूर्य तुला राशि में प्रवेश करेंगे। कुल मिलाकर यह आश्विन शुक्लपक्ष अत्यंत शुभ फलकारक होगा।

24 अक्टूबर गुरुवार के दिन 2:27 पर भगवान सूर्य स्वाति नक्षत्र में प्रवेश करेंगे 30 अक्टूबर के आसपास मौसम में बूंदाबांदी के योग मिल रहे हैं गुरुवार की दीपावली देश एवं समाज तथा व्यवसाय जगत के लिए अत्यंत उन्नति कारक होगा कार्तिक कृष्ण पक्ष के तीन शुक्रवार एवं शुक्रवार की अमावस्या भी अत्यंत शुभ फल कारक होगा इस महीने में गेहूं जो चना के भाव सामान्य रहेंगे ज्वार बाजरा उड़द मूंग मोठ चावल और चांदी के भाव में थोड़ी मंदिर रहेगी सरसों अलसी तिल तेल नारियल सोना तांबा रश्मि और ऊनी वस्त्र के भाव में तेजी रहेगी हुई सूट सुन प्लास्टिक की वस्तुओं में पहले तेजी और बाद में मंडी हो जाएगी शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव बना रहेगा।

मौसम की बात करें तो हिमाचल प्रदेश की पहाड़ियों पर भारी वर्षा होने के आसार हैं और जम्मू कश्मीर में भी भारी बारिश की संभावना है। भारत के दक्षिण सामुद्रिक क्षेत्र में तूफान और चक्रवाती हवाओं के भारी उपद्रव से काफी नुकसान हो सकता है। तूफान विनाश की स्थिति से लोग काफी परेशान होंगे।

उत्तर भारत की पहाड़ियों पर हल्की से तेज बूंदाबांदी होने के कारण ठंड की वृद्धि होगी। स्वाति नक्षत्र का कीमती जल किसी किसी प्रदेश को नसीब होगा। गुजरात, दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश इन राज्यों में ठंडी हवाओं का वेग बढ़ने से शीत की वृद्धि होगी।

दीपावली के दिन माता श्री महालक्ष्मी का पूजन करने का विशेष शुभ मुहूर्त:


स्थिर लग्न में यदि दीपावली के दिन माता महालक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाए तो पूरे वर्ष माता लक्ष्मी की विशेष कृपा बनी रहती है। भारतवर्ष के पूर्व और पश्चिम दो क्षेत्र की यदि बात करें तो पूर्व के क्षेत्र में बिहार, बंगाल, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश इत्यादि प्रान्तों में दिन के समय में व्यापारिक स्थलों पर, दुकानों में दोपहर 1:33 से 3:04 के बीच कुंभ लग्न में और प्रदोष काल के समय शाम 6:11 से 8:08 के बीच वृषभ लग्न में पूजन करना सर्वश्रेष्ठ होगा। महानिशा बेला में तांत्रिक पूजा, मंत्र सिद्धि इत्यादि के लिए सिंह लग्न अर्थात स्थिर लग्न में रात्रि 12:39 से 2:53 के बीच पूजन करना सर्वश्रेष्ठ होगा।

घर में माता महालक्ष्मी जी की पूजा करने का सर्वश्रेष्ठ शुभ मुहूर्त होता है वृषभ लग्न और सिंह लग्न।

भारत के पश्चिम क्षेत्र महाराष्ट्र, गुजरात और कर्नाटक इत्यादि प्रान्तों में घरों में और व्यापारिक स्थलों पर दोपहर 2:03 से 39 मिनट के बीच कुंभ लग्न में, शाम 6:56 से 8:56 के बीच वृषभ लग्न में और रात्रि 1:22 से 3:31 के बीच सिंह लग्न में माता श्री महालक्ष्मी का पूजन करना अत्यंत श्रेष्ठ होगा।

इति शुभमस्तु!! कल्याणमस्तु!!
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ