मोहब्बतें
तुमसे बिछड़ कर कहां जायेंगे?यहीं मिले थे, यहीं आयेंगे।
जिंदा रहे तो जिंदगी में, मगर
मर कर भी हम यहीं आयेंगे।
खुदा न किया किसी को अलग,
इस आबोहवा से लिपट जायेंगे।
वफा का शबाब जुनूनी है बहुत,
मुस्कुराना कभी न भुला पाएंगे।
कहते जिसे खिजां है, चार दिन के,
बहारों की महफ़िल फ़िर ले आएंगे।
गुल, गुलाब व खुशबू के वास्ते
रोते दिलों को फ़िर से हसाएंगे।
मोहब्बत से भरी दुनिया है ये दिल
नफरतें अपनी गर्दिशी को जायेंगे।
जो भी था अपना, था कहां कुछ?
तुम्हारा ही तुमको लौटाएंगे।
तुमसे बिछड़ कर कहां जायेंगे?
यहीं मिले थे, यहीं आयेंगे।
डॉ.अंकेश कुमार, पटना.
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