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जगमग करने आई दिवाली

जगमग करने आई दिवाली

जगमग करने आई दिवाली ,
अंतर्मन तू निज जगमगा ले ।
माॅं लक्ष्मी में ध्यान लगा लो ,
अपना भाग्य भी ये जगा ले ।।
दीप जला कर दे तू उजाला ,
अंदर बाहर का तम भगा ले ।
हर्षित करने दिवाली है आई ,
हॅंस हॅंसा ले संग‌ मिल गा ले ।।
पूजा कर लो तुम अंतर्मन से ,
प्रसाद तुम खिला ले खा ले ।
कर लो प्रणाम निज बड़ों को ,
पावन आशीष सबसे पा ले ।।
बुरे की संगत कभी न करना ,
दूसरे की बुराई तुम्हें न भा ले ।
करके विचार दीप जला लो ,
पावन रिश्ते ये तुम निभा ले ।।
मनाने चले हो सहर्ष दिवाली ,
पावन मन से दीप जला ले ।
जल रहे हो तुम दूजे को देख
जल जलकर स्व न जला ले ।।
वातावरण हो रही है प्रदूषित ,
ज़हरीले धुऍं वायु न छा ले ।
जीवन तेरा बहुत बहुमूल्य ,
पटाखों से निज को बचा ले ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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