Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

ज्ञान के सागर विद्या सागर

ज्ञान के सागर विद्या सागर

हो हो हो —————–
मुझे क्षमा करना ,
ओ मुनिराज।
मुझे क्षमा करना ,
ओ मुनिराज।
सबसे पहले लूँगा,
आचार्य श्री का नाम।
सबसे पहले लूँगा
विद्यासागर का नाम।।


त्याग और तपस्या,
कि मूरत है वो।
निश्चय और व्यवहार,
कि सूरत है वो।
ज्ञान का इतना,
भरा है भंडार ।
जितना जी चाहे
ले जाओ तुम आज।
हो हो हो —————–
मुझे क्षमा करना,
ओ मुनिराज।
मुझे क्षमा करना,
ओ मुनिराज।।


आगम अनुसार चलते है वो।
आगम ही उनका है आधार।
अहिंसा के वो पुजारी है।
गऊ रक्षा के हितेसी है।
करते है जहां चातुर्मास,
तीर्थ बन जाता है वो क्षैत्र।।
हो हो —————–
मुझे क्षमा करना,
ओ मुनिराज।
मुझे क्षमा करना,
ओ मुनिराज।।


नमोऽस्तु गुरुवर
उपरोक्त भजन शरद पूर्णिमा आचार्यश्री के गुरु गुण स्मृति दिवस पर उनके चरणों में संजय जैन मुंबई के द्वारा समर्पित है।


जय जिनेन्द्र संजय जैन "बीना" मुंबई
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ