
मां विमल ज्ञान भर दो
माँ अम्बे तू विमल ज्ञान भर दो,
मुख से निकले मधुर वचन,
माँ ऐसा सुन्दर स्वर दे,
माँ अन्बे तू विमल ज्ञान भर दो।
काम, क्रोध, ईर्ष्या और द्वेष,
माँ मेरी हृदय से हर लो
माँ अम्बे तू विमल ज्ञान भर दो।
चित्त चंचल चारों ओर फिरत है,
माँ चरण कमल में कर लो,
माँ अम्बे तू विमल ज्ञान भर दो।
नित्य तुम्हारी दया दृष्टि हो,
मां बस यही एक वर दो,
माँ अम्बे तू विमल ज्ञान भर दो।
नतमस्तक हूँ चरण में तेरी,
माँ हस्त मेरे सर धर दो,
माँ अम्बे तू विमल ज्ञान कर दो।
सुरेन्द्र कुमार रंजनसुरेन्द्र कुमार रंजन
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