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औरत चुप कब होती है?

औरत चुप कब होती है?

डॉ.रीमा सिन्हा
औरत चुप कब होती है?
जब वह जान जाती है
उसकी बातों का कोई मोल नहीं,
भूल जाती है वह हक़ जताना,
मुँह मोड़ लेती है,
औरत चुप तब होती है।
लड़ती उसी से जिससे प्यार करती है,
सोचती उसी को तन-मन वार देती है।
जब लगता है उसके स्वाभिमान को चोट,
थक-हार के अपने शब्दों को बाँध लेती है।
चली जाती है चिर शांति में
भावों को आकार देती है,
फिर कभी मुड़ती नहीं उधर को
जिधर से उपेक्षा मिलती उसको,
उर वेदना में अवगुंठित सोती है,
औरत चुप तब होती है।
डॉ.रीमा सिन्हा(स्वरचित)

लखनऊ-उत्तर प्रदेश
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