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महाराष्ट्र सरकार ने गाय को राज्यमाता घोषित किया

महाराष्ट्र सरकार ने गाय को राज्यमाता घोषित किया

महाराष्ट्र सरकार ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए गौमाता को राज्य माता घोषित किया है। इस ऐतिहासिक कदम को लेकर सरकार ने आदेश भी जारी कर दिया है। आदेश में कहा गया है कि गाय को भारतीय संस्कृति में वैदिक काल से महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। गाय का महत्व न केवल धार्मिक है, बल्कि चिकित्सा और कृषि में भी गाय के कई फायदे देखने को मिलते हैं। इसके साथ ही महाराष्ट्र गाय को राजमाता घोषित करने वाला दूसरा राज्य बन गया है।

उत्तराखंड गाय को राजमाता घोषित करने वाला पहला राज्य

भारत में गाय को “राजमाता” या “राष्ट्रमाता” घोषित करने वाला पहला राज्य उत्तराखंड है। उत्तराखंड विधानसभा ने 19 सितंबर 2018 को इस संबंध में एक संकल्प पारित किया, जिसमें गाय को राष्ट्रमाता का दर्जा देने की मांग की गई थी। यह संकल्प सर्वसम्मति से पारित हुआ और इसे केंद्र सरकार को भेजा गया। अब महाराष्ट्र की शिंदे सरकार की कैबिनेट ने राजमाता का दर्जा दिया गया है।

आयुर्वेद और पंचगव्य चिकित्सा पद्धति में गाय का महत्व

महाराष्ट्र सरकार ने आदेश में गाय के महत्व को और भी विस्तार से समझाया है। आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति और पंचगव्य उपचार में गाय का योगदान अनमोल माना जाता है। पंचगव्य पद्धति, जिसमें गाय का दूध, मूत्र, गोबर, घी और दही शामिल होते हैं, को विभिन्न बीमारियों के इलाज में उपयोगी बताया गया है। इसके अलावा, जैविक खेती में गोमूत्र का भी व्यापक रूप से प्रयोग किया जाता है।

गाय का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व हिंदू धर्म में गाय को विशेष स्थान प्राप्त है। इसे ‘गौमाता’ का दर्जा दिया गया है और धार्मिक अनुष्ठानों में इसकी पूजा की जाती है। गोमूत्र और गोबर को पवित्र माना जाता है, और विभिन्न धार्मिक कार्यों में इनका उपयोग होता है। गाय का दूध न केवल शारीरिक रूप से लाभकारी होता है, बल्कि इसे आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण माना जाता है।
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