दक्षिण भारत के ज्ञंदिर
डॉ रामकृष्ण मिश्रमंदिरों के देश में हम घूमते हैं, आइए।
कला की जीवंतता हम देखते है, आइए।।
शैव वैष्णव शाक्त के संयुक्त वैभव की छटा।
विश्वकर्मा - शिल्प अद्भुत देखते हैं आइए।।
श्याम प्रस्तर खण्ड में जीवंत है अध्यात्म जो।
और आकृतियाँ मनोहर देखते हैं, आइए।।
स्तम्भ , दीवारें , खुले चत्वर कि अँगनाई
बोलते -से, बुलाते -से, देखते हैं आइए।।
सभा स्थल, द्वार, चौकठ पर्वतो के सुयश -सै।
गुनगुनाते मौन होकर देखते हैं आइए।।
गर्भ गृह की भित्तियाँ एकान्तता का मंत्र पढ।
अर्चना आराधना में देखते हैं आइए।।
विग्रहों में प्राण जाग्रत से चमकते है सदा।
आस्था प्रतिमान दीपित देखते हैं आइए।।
रामकृष्ण
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