दशहरे पर रावण की पुकार
रावण कहता है
एक बात मेरी सुन लो।
क्यों वर्षो से मुझे यू
जलाये जा रहे हो।
फिर भी तुम मुझे जला
नहीं प् रहे हो।
हर वर्ष जलाते जलाते
थक जाओगे।
और एक दिन खुद ही
जल जाओगे।।
मैंने सीता को हरा,
हरि के लिए।
राक्षक कुल की
मुक्ति के लिये।
मैंने प्रभु दर्शन कराये
राक्षक जाती को।
तुम तो मानव होकर भी
नहीं कर पाए।।
आज रावण से
राम डरते है।
क्योंकि आज लक्ष्मण ही
सीता को हरते है।
आज घर घर में
छुपे हुए है रावण।
आग कितने रावणो को
तुम लगाओगे।।
सीता को हरना तो
एक बहाना था।
मुझको राम हाथो से
मुक्ति पाना था।
में तो मरकर भी
राम को पा गया।
तुम तो जीकर भी
राम को न पा रहे हो।।
दोस्तों वैसे तो रावण बहुत ही ज्ञानी और वीर युध्दा था। उसकी भक्ति में बहुत ही शक्ति थी जिसके कारण ही प्रभु से वरदान उसे मिलते जाते थे। क्या आज इस कलयुग में कोई व्यक्ति ऐसा है। जो अपने आप को राम मान्यता हो या उसका चरित्र राम जैसा हो ? रावण ने तो सीता को हरके भी जबरजस्ती ......।कुछ भी नहीं किया और आज के इस युग में तो क्या हो रहा है उसे बताने की जरूरत नहीं है।
सभी देशवासियों को दशहरा की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं।
जय जिनेन्द्र
संजय जैन "बीना" मुंबई
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