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"अपनी शक्तियों एवं क्षमताओं से संघर्ष करो, दूसरों की दुर्बलताओं से नहीं"

अपनी शक्तियों एवं क्षमताओं से संघर्ष करो, दूसरों की दुर्बलताओं से नहीं

यह उद्धरण एक गहरी सच्चाई को उजागर करता है - सफलता का रास्ता हमारे अपने प्रयासों से होकर गुजरता है, दूसरों को गिराकर नहीं। अक्सर हम दूसरों की कमजोरियों को देखकर अपनी सफलता का मार्ग प्रशस्त करना चाहते हैं, लेकिन यह एक भ्रम है। सच्ची सफलता तो तब मिलती है जब हम अपनी क्षमताओं को पहचानते हैं और उनका उपयोग अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए करते हैं।

जब हम अपनी शक्तियों पर ध्यान केंद्रित करते हैं और उनका उपयोग करते हैं, तो हम न केवल खुद को आगे बढ़ाते हैं बल्कि दूसरों को भी प्रेरित करते हैं। अपनी कमजोरियों को स्वीकार करना और उन पर काम करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। जब हम अपनी कमजोरियों को अपनी ताकत में बदल देते हैं, तो हम अजेय बन जाते हैं।

दूसरों की कमजोरियों पर ध्यान केंद्रित करने से हम नकारात्मक ऊर्जा पैदा करते हैं जो हमारे विकास में बाधा डालती है। हमें हमेशा दूसरों की मदद करने और उन्हें प्रोत्साहित करने का प्रयास करना चाहिए। जब हम दूसरों की सफलता में खुश होते हैं, तो हमारी अपनी सफलता और भी अधिक मधुर होती है।

यह उद्धरण हमें याद दिलाता है कि ......

  1. सफलता एक व्यक्तिगत यात्रा है : यह दूसरों के साथ प्रतिस्पर्धा करने के बारे में नहीं है, बल्कि अपने सर्वश्रेष्ठ बनने के बारे में है।
  1. दूसरों की मदद करने से हमें खुशी मिलती है : जब हम दूसरों को सफल होते हुए देखते हैं, तो हम खुद को भी सफल महसूस करते हैं।
  1.  हमारी शक्तियां असीमित हैं : हमें बस उन्हें पहचानने और उनका उपयोग करने की आवश्यकता है।

आइए हम सभी इस उद्धरण को अपने जीवन में लागू करें और एक ऐसे समाज का निर्माण करें जहां हर व्यक्ति अपनी पूरी क्षमता का उपयोग कर सके।


. "सनातन"
(एक सोच , प्रेरणा और संस्कार) 
 पंकज शर्मा (कमल सनातनी)
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