मेरी चन्द्रमुखी
आशिकाना अदा कातिलाना नजर,हुई क्या खता ऐ ओ जाने जिगर ।
बनाऊँगा तुमको अपना हमसफर,
ना चिंता करो ना करो तुम फिकर ।
क्यों खफा तुम हो मुझसे मेरी चन्द्रमुखी,
दूंगा हर खुशी, तुम ना होना दुखी ।
आखिरी मेरी मंजिल है चाहत तेरी,
तुम ना मुझको मिली तो अंत है मेरी ।
तेरी नाज - नखरें उठाऊंगा सदा,
ख्वाहिशें पूरी करने का करता हूं वादा।
तुम ना रूठो मेरी दिलनशी दिलरुबा,
प्यार करता हूं बेइंतहा मेरी महबूबा।
सुरेन्द्र कुमार रंजन
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