शारदीय नवरात्र चतुर्थ,अद्भुत अनुपम विशेष
चतुर्थ नवरात्र अहम आभा,सर्वत्र भक्ति शक्ति वंदना ।
असीम उपासना स्तुति आह्लाद,
दर्शन आदर सत्कार अंगना ।
अनंत नमन मां मंद मुस्कान,
त्रिलोक आलोक दर्शित अधिशेष ।
शारदीय नवरात्र चतुर्थ,अद्भुत अनुपम विशेष ।।
अनूप छवि अष्ट भुजाधारी,
रज रज ओज प्रसरण।
भक्तजन अलौकिक स्पर्शन,
तन मन कांति संचरण ।
सौर मंडल अधिष्ठात्री मां,
पटाक्षेप सघन तिमिर द्वेष ।
शारदीय नवरात्र चतुर्थ,अद्भुत अनुपम विशेष ।।
वनराजारूढ़ अक्षय फलदायिनी,
मां रूप भव्य श्रृंगार निराला ।
कर कमंडल धनुष बाण कमल चक्र गदा,
अमृत कलश सिद्धि निधि जपमाला ।
सुख सौभाग्य कृपालु मैया,
दूर सर्व दुःख कष्ट संकट निमेष ।
शारदीय नवरात्र चतुर्थ,अद्भुत अनुपम विशेष ।।
सृष्टि रचना महाकाज,
त्रिदेव अप्रतिम सहयोग ।
हरित वर्ण अति प्रिया मां ,
चाहना कुम्हड़ बलि योग ।
दैहिक दैविक भौतिक ताप मुक्ति,
मां आदि शक्ति दर्शन उन्मेष ।
शारदीय नवरात्र चतुर्थ,अद्भुत अनुपम विशेष ।।
* कुमार महेन्द्र*
(स्वरचित मौलिक रचना)
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