Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

रक्तबीज संहार

रक्तबीज संहार

आई हैं आई हैं चंडी आई हैं
देखो आई हैं आई हैं काली आई हैं
करने रक्त बीज संहार चंडी आई हैं।
करने रक्तबीज का पान काली आई हैं।
रक्तबीज पर चण्डी ने जब था शस्त्र चलाया
उसके रक्त की बूंदों से कई रक्तबीज उपजाया
तब चण्डी ने शीघ्र काली से बोली हे चामुण्डे!
अपने मुख को और बड़ा कर रक्त इसका सब पी ले।
रण में रक्तबीज को भक्ष्य बनाने आई हैं।
करने रक्त बीज संहार चंडी आई हैं।
करने रक्तबीज का पान काली आई हैं।१
जब चण्डी ने शूल से अपने रक्तबीज को मारा
काली ने निकले हुए रक्त से अपने मुख भर डाला।
मुख में उपजे रक्तबीजों को चामुंडा ने चबाया
रक्तपान कर चामुंडा ने उसका अंत कर डाला।
दैत्य का नाश करने को ही चण्डी आई हैं।
करने रक्त बीज संहार चंडी आई हैं।
करने रक्तबीज का पान काली आई हैं।२
देव हुए हर्षित सारे और माताएं सब हर्षित
रक्तपान कर मां काली चामुंडा नाम से चर्चित
चामुंडा देवों की ही जीत कराने आई हैं
करने रक्त बीज संहार चंडी आई हैं।
करने रक्तबीज का पान काली आई हैं।३
-स्वरचित रचना
-सुशील कुमार मिश्र
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ