आर्य समाज ने रोहिंग्या मुसलमानों को तत्काल बाहर करने की उठाई मांग
ग्रेटर नोएडा ( विशेष संवाददाता) यहां स्थित आर्य समाज घोड़ी बछेड़ा के वार्षिक उत्सव के अवसर पर आर्य प्रतिनिधि सभा जनपद गौतम बुध नगर के अध्यक्ष डॉ राकेश कुमार आर्य द्वारा रखे गए प्रस्ताव पर उपस्थित लोगों ने बांग्लादेशी हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों के विरुद्ध प्रस्ताव पारित किया और सरकार से मांग की कि वह बांग्लादेशी हिंदुओं के पुनर्वास और संरक्षण पर गंभीर दृष्टिकोण दिखाएं। इसके साथ ही उपस्थित लोगों ने सरकार से रोहिंग्या मुसलमानों को देश से निकालने का प्रस्ताव भी पारित किया। लोगों ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि सुप्रीम कोर्ट ने असम से 25 मार्च 1971 के बाद के आने वाले प्रत्येक बांग्लादेशी मुसलमान को भारत से बांग्लादेश भेजने का ऐतिहासिक निर्णय सुनाया है।
इस अवसर पर डॉ राकेश कुमार आर्य ने कहा कि भारत में संगठन की शक्ति को मजबूत करने के लिए अनेक अभियान पर संघर्ष किए गए हैं। उन्होंने ऐतिहासिक संस्मरण सुनाते हुए कहा कि राजा पुष्यमित्र शुंग ने सनातन की सांगठनिक शक्ति को मजबूत करने के लिए ही अपने समय में 8-10 लाख विदेशी आतंकी घुसपैठियों को मार गिराया था। इसके पश्चात देवल आचार्य द्वारा भी इस दिशा में गंभीर चिंतन और कार्य किया गया। डॉ आर्य ने कहा कि हमें गुर्जर प्रतिहार वंश के शासक नागभट्ट प्रथम और बप्पा रावल के प्रयासों के साथ-साथ राव लूणकरण भाटी के शुद्धि अभियानों की ओर भी ध्यान देना चाहिए। जिन्होंने सनातन की खोई हुई शक्ति को फिर से संगठित करने का स्तुत्य प्रयास किया था। डॉ आर्य ने कहा कि हमें आज आर्य समाज की ताकत को राष्ट्र की ताकत के रूप में परिवर्तित करने के लिए उठ खड़े होने की आवश्यकता है। इसके लिए युवा शक्ति का आवाहन करते हुए उन्होंने कहा कि जिस देश का युवा जाग जाता है वह देश संगठन के स्तर पर निश्चय ही तरक्की करता है।
आर्य समाज के कोषाध्यक्ष आर्य सागर खारी ने इस अवसर पर कहा कि जाति या जातिवाद रोग है, रोग की गणना नहीं की जाती, रोग का इलाज किया जाता है। आर्य समाज के लिए राष्ट्र प्रथम है। संगठन आधारित गैर राजनीतिक जिन संगठनों को जातिगत जनगणना का पिछले दरवाजे से समर्थन करके सत्ता की मलाई चाटनी है , वे चाटते रहें। आर्य सागर द्वारा प्रस्तुत आर्य समाज घोड़ी बछेड़ा ग्रेटर नोएडा के वार्षिक उत्सव में जातिगत जनगणना की देश समाज को तोड़ने वाली मांग के विरुद्ध निंदा प्रस्ताव सर्वसम्मति सहमति से पास किया गया। इस संबंध में उन्होंने प्रस्ताव प्रस्तुत करते हुए कहा कि यदि जातिगत जनगणना क्रियान्वित की जाती है तो पहले से ही ढाई मोर्चा पर जंग लड़ रहा यह देश गृह युद्ध की चपेट में चला जाएगा। जातिगत जनगणना की मांग संविधान के मूल ढांचे और संविधान की उद्देश्यिका के विरुद्ध है और उसमें उल्लेखित बंधुता व समता के आदर्श पर भी कुठाराघात है। आर्य जगत के सुप्रसिद्ध संन्यासी आचार्य विजय देव शास्त्री ने इस अवसर पर अपना विद्वत्ता पूर्ण वक्तव्य देते हुए लोगों का मार्गदर्शन किया कि आर्य समाज वेदों की जीवन शैली में विश्वास करता है। उन्होंने कहा कि जिज्ञासा और जिजीविषा दो ऐसे तत्व हैं जो मनुष्य के भीतर स्वाभाविक रूप से मिलते हैं। जिस समाज के भीतर ये दोनों तत्व मर जाते हैं, वह समाज वैज्ञानिक उन्नति कभी नहीं कर सकता और ना ही सरस जीवन शैली अपना कर संसार में उन्नति प्राप्त कर सकता है। आर्य समाज जिज्ञासा और जिजीविषा दोनों को जागृत करता है। आर्य जगत के सुप्रसिद्ध उपदेशक कुलदीप विद्यार्थी ने कहा कि विचार शक्ति को मजबूत करने से ही संगठन शक्ति मजबूत होती है, जिस समाज के भीतर से वैचारिक शक्ति समाप्त हो जाती है, वह पतन को प्राप्त हो जाता है। जबकि भजनोपदेशिका छवि आर्या ने इतिहास की मर्मस्पर्शी व्याख्या करते हुए कहा कि भारत के लोगों को अपनी प्राचीन गौरवशाली परंपराओं को जीवित करने की आवश्यकता है। इस अवसर पर कार्यक्रम का संचालन सतीश शास्त्री द्वारा किया गया। कार्यक्रम में महेंद्र सिंह आर्य, चरण सिंह आर्य, आर्य प्रतिनिधि सभा जनपद गौतम बुद्ध नगर के उपाध्यक्ष महावीर आर्य , राजकुमार आर्य, आर्य समाज घोड़ी के मंत्री संजय शर्मा, कोषाध्यक्ष गौरव आर्य, प्रेमचंद आर्य सहित बड़ी संख्या में मातृ शक्ति भी उपस्थित रही। आर्य समाज मंदिर के प्रधान श्री रिछपाल सिंह ने उपस्थित जनों का आभार व्यक्त किया।
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