Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

जीवन की भूल

जीवन की भूल

माँ काली के आशीर्वचनों से अभिभूत,
हो गया भूलवश कुछ ऐसी करतूत ।
नहीं रहा मेरा मन मस्तिष्क पर नियंत्रण,
जब मिला मुझे अधरों व कपोलों का निमंत्रण।

क्षण भर के लिए तन आनंदित हुआ,
पर जीवन भर के लिए मन कलंकित हुआ ।
भरोसा और विश्वास का सर्वनाश हुआ,
इज्जत लुटाकर गलतियों का एहसास हुआ।

वर्षों का रिश्ता पल में तार-तार हुआ,
भरी बाजार में मानवता शर्मसार हुआ।
न रही प्रतिष्ठा, जीना दुश्वार हुआ,
बची-खुची जिन्दगी भी बेकार हुआ।

नहीं भूलूंगा 21 अगस्त 2018 की रात ,
मेरे दिल पर हुआ कुछ ऐसा वज्रपात,
नहीं रहा दिल और दिमाग पर जोर,
अंततः टूट गई अनमोल रिश्ते की डोर।

⇒ सुरेन्द्र कुमार रंजन
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ