जिसका जाना तय है,
वह कब तक रुकेगा भला।आज अगर रुक भी गया,
कल वह जाएगा चला।
दुख मत कर, यह सिलसिला
सबकी बारी बारी है।
कोई स्वस्थ जाता है तो,
किसी के साथ बिमारी है।
उलझन से निकल,
चंद घंटे खुशी के गीत गाले।
प्रियतम सुर अलाप रहा है
उसके सुर में सुर मिलाले।
फिर न रुकने का भ्रम होगा,
न जाने का गम होगा।
मोह भंग हो जाएगा तब,
आंखें कभी न नम होगा।
जय प्रकाश कुवंर
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