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जीवन का मूलमंत्र

जीवन का मूलमंत्र

प्रेम की आसक्ति मनुष्य को,
हैवान से इंसान बना देती है।
मरघट - सा जीवन चक्र को,
एक गति प्रदान कर देती है

प्रेम की विरक्ति मानव को ,
इंसान से दानव बना देती है।
खुशहाल जीवन की राहों में,
दुःखों का अंबार लगा देती है।

 स्वार्थ, द्वेष व व्यभिचार ,
जीवन का षड्‌यंत्र है।
प्रेम, परोपकार व सदाचार,
सफल जीवन का मूलमंत्र है।

घृणा जीवन की नीरसता है,
प्रेम जीवन की सरसता है ।
प्रेम है तो मानव जीवंत है ,
वरना उसके जीवन का अंत है।

सुरेन्द्र कुमार रंजन
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