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भू लोक गूंज रहा,जय माता दी उद्घोष से

भू लोक गूंज रहा,जय माता दी उद्घोष से

शारदीय नवरात्र अद्भुत अनुपम,
रज रज दर्शित हर्षित पुलकित ।
ज्योतिर्मय जन मानस पटल,
भक्ति शक्ति प्रभाव प्रफुल्लित ।
धर्म आस्था परम स्पंदन,
उत्साह उमंग वासर प्रदोष से ।
भू लोक गूंज रहा,जय माता दी उद्घोष से ।।


गृह मंदिर पांडाल आदि स्थल,
मां दुर्गा नव रूप साक्षात ।
भव्य भजन कीर्तन प्रस्तुतियां,
अंतर पुनीत संकल्प आत्मसात ।
विधिवत पूजा पाठ अर्चना,
असीम आनंद कृपा परितोष से ।
भू लोक गूंज रहा,जय माता दी उद्घोष से ।।


अप्रतिम छटा मनहर श्रृंगार,
आभा मंडल अथाह तेज ।
दुःख कष्ट पीड़ा मूल हरण,
शोभा सुख समृद्धि बंधेज ।
अनूप महिमा मंडन मां शेरों वाली,
वर वैभव स्नेहिल कोष से ।
भू लोक गूंज रहा,जय माता दी उद्घोष से ।।


जप तप उपासना सिद्धि ओर ,
सत्त्व रजो तमो गुण संधान ।
धर्म श्री वंदन अधर्म विनाश,
जीवन परिष्करण विधान ।
ज्योति पुंज परिवेश उत्संग ,
मुक्ति अनैतिकता स्व दोष से ।।
भू लोक गूंज रहा, जय माता दी उद्घोष से।।


कुमार महेन्द्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
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