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देखा जो तुझे तो यह मन,कुछ कहने लगा है

देखा जो तुझे तो यह मन,कुछ कहने लगा है

देखा जो तुझे तो यह मन,कुछ कहने लगा है
तेरे ही ख्यालों में ये मन रहने लगा है
था बड़ा बेतरतीब मैं,अल्हड जवान की तरह
देखकर यह वंदा भी,अब संवरने लगा है।
देखा जो तुझे तो यह मन...l
नारी बिन मेरी यह जिन्दगी,बेजान लगती है
नारी बिन यह गलियाँ,सुनसान लगती हैं
देखा है तुझे जबसे,दिल कहता बार- बार
तुझमें ही मेरा प्राण,अब बसने ĺलगा है।
देखा जो तुझे तो यह मन...l
आ जाओ मेरी जिंदगी में,तुम बहार बनकर
छा जाओ मेरी ज़िन्दगी में जाँ निसार बनकर
तुम बिन कोई दूसरा,अब जंचता हीं नहीं
तुमपर मेरा ये दिल मरने लगा है।
देखा जो तुझे तो यह मन...l
देखा हूँ जबसे सपने में,तुझे मैं कई बार
तबसे यह अकेला भी निखरने लगा है
अब तो नहीं चैन है,नहीं कहीं आराम
तेरे ही इन्तजार में यह दिल रहने लगा है।
देखा जो तुझे तो यह मन...l
लगता नहीं अब मन मेरा,तुम बिन और कहीं
तुम बिन यह जीवन,हमें खलने लगा है
कर रहा हूँ इजहार तुमसे,दिल खोलकर
तेरा ये दिवाना,तुझसे बहुत प्यार करने लगा है।
देखा जो तुझे तो यह मन...l
अब तो तेरे नाम,मैंने कर दिया ये दिल
तेरे बिना जीना,मरना हुआ मुश्किल
आ जाओ मेरी जिंदगी में,तुम प्यार बनकर
यह दिल तेरे प्यार में अब रहने लगा है।
देखा जो तुझे तो यह मन...l
------------0--------- अरविन्द अकेला,
पूर्वी रामकृष्ण नगर, पटना-27
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