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जैन क्या होते है

जैन क्या होते है

जैन के घर की रोटी,
जैन के घर की दाल।
छप्पन भोग में भी
नही ऐसा कमाल।
जैन घर का आचार।
बदल देता है विचार।।


जैन घर का पानी।
शुद्ध करें वाणी।
जैन के घर के फल और फूल।
उतार देती है जन्मों -जन्मों की घूल।।


जैन की छाया,
बदल देती है काया।
जैन के घर का रायता।
मिलती है चारों ओर से सहायता।।

जैन के घर के आम।
नई सुबह नई शाम।
जैन के घर का हलवा।
दिखाता है जलवा।।


जैन की सेवा।
मिलता है मिश्री और मेवा।
जय जिनेंद्र जैन स्नान।
चारों धाम के तीर्थ के समान।।

जैन को जो पलको पर सजाऐ।
उस का कुल सवर जाये।
जैन जो हो सवाली।
उसकी हर दिन होली रात दीवाली।।


जय-जय जैन धर्म की जय,
जय-जय जैन धर्म की जय।।


जय जिनेंद्र

संजय जैन "बीना" मुंबई
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