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पितरों की विदाई

पितरों की विदाई

पितृपक्ष में पितृलोक से आए हुए हे पितृगणों!
देकरके वरदान जाइए हमसबको हे पितृगणों!१
देकरके आशीष जाइए हमसबको हे पितृगणों!
फले फुले ये वंश आपका आशीर्वाद दें पितृगणों!२
यथाशक्ति जो सेवा भक्ति बना किया हे पितृगणों!
होकरके संतुष्ट उसी से वर प्रदान करिए सबको३
हम सबको सद्बुद्धि दीजिए आप सबों का मान रखें।
वंश की उज्जवल कीर्ति पताका को धूमिल न कभी करें।४
अगले पितृपक्ष में फिर से आएंगे यह वचन भी दें।
सेवा भक्ति करने का अवसर भी देंगे वचन ये दें।५ण
सेवा में कोई त्रुटी रही तो उसके लिए क्षमा कर दें।
फिर से कोई त्रुटी रहे ना ऐसी बुद्धि हमको दे दें ।६
पितृलोक में जाकर अब विश्राम करें हे पितृगणों!
दिव्य पितर का संरक्षण भी प्राप्त करें हे पितृगणों!
स्वरचित रचना-
सुशील कुमार मिश्र
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