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चांद ने अमृत कहां से पाए ?

चांद ने अमृत कहां से पाए ?

ये अमृत कहां से पाए चांद मुझे बतला दें।
ये अमृत जो बरसाए चांद मुझे बतला दें।
जो रहता अमृत ये आपका,
सदा एक जैसा ही रहता
क्यों घट जाए बढ़ जाए राज ये बतला दें।१
चांद बोले मुझसे मुस्कराकर
स्रोत हैं इसके सुनों दिवाकर
मैं भी लाऊं जभी घट जाए चांद मुझे बतलाए।२
अमृत का है वहीं खजाना
कठिन है उनसे सीधा पाना
संध्याकाल में द्विज उसे पाएं चांद मुझे बतलाए।३
मेरे पास केवल शीतलता
अमृत उसमें आकर मिलता
फिर देता हूं बरसाए चांद मुझे बतलाए।४
शीतलता से युक्त ये अमृत
सबके लिए है सदा समर्पित
चाहे जो कोई आ जाए चांद मुझे बतलाए।५
भेद भाव मैं नहीं करता हूं।
जो मांगे सबको देता हूं।
सब देवि देवता आएं चांद मुझे बतलाए।६
देव भी आएं पितर भी आएं
ग्रह और सभी नक्षत्र भी आएं
सब अमृत पी पी जाएं चांद मुझे बतलाए।७
मैं पूछा था पश्यन्ती में
चांद का उत्तर परा वाणी में
मेरे साथ बैठा कोई भी कुछ भी समझ न पाए
चांद मुझे समझाएं,चांद मुझे बतलाएं।
अपना अनुभव गीत बन गया
मेरे सुरों में देखो ढल गया
मैं अब देखो गीत रहा गाए रहस्य को सुलझाए।८-
स्वरचित रचना 
सुशील कुमार मिश्र
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