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पूजा वाला घी का काला सच

पूजा वाला घी का काला सच

संवाददाता सुरेन्द्र कुमार रंजन की खबर |
व्रत- त्योहारों, शादी समारोहों एवं धार्मिक अनुष्ठानों में प्रयोग होने वाले सस्ते शुद्ध देशी घी के नाम पर जानवरों की चर्बी से बनाए गए घी धड़ल्ले से बाजार में बिक रहे हैं। जहाँ शुद्ध देशी घी की कीमत 700 रुपये से लेकर 1000 रुपये तक है वहीं चर्बी वाले शुद्ध देशी घी की कीमत 120 रुपये से लेकर 350 रुपये है जबकि इसकी लागत 20 रुपये से लेकर 50 रुपये तक आती है। यह विभिन्न ब्रांडों के नाम से पूजा वाला घी के नाम से धड़ल्ले से बिक रहे हैं।
इस काले सच पर ले परदा उठाते हुए पुष्पेन्द्र कुलश्रेष्ठ ने लिखा है कि चमड़ा सिटी के नाम से प्रसिद्ध कानपुर में जाजमऊ से गंगा नदी के किनारे-किनारे करीब 10 से 12 किलोमीटर के दायरे में सैकड़ों की तादाद में भट्टियाँ धधकती दिख पड़ती है। इन भट्टियों में जानवरों के शरीर से निकाली गई चर्बी को गलाया जाता है। इस चर्बी
से मुख्यतः तीन ही वस्तुएँ बनाई जाती है-

  1.  एनामिल पेंट (जिसे हम अपने घरों की दिवारों पर लगाते हैं।
  1. ग्लू (फेविकोल) इत्यादि जिन्हें हम कागज, लकड़ी आदि जोड़ने के काम में लाते हैं।
  1. सबसे महत्वपूर्ण चीज जो बनती है वह "सस्ती देशी घी" या "पूजा वाला घी "


औद्योगिक होल में फैली हुई वनस्पति घी बनाने वाली फैक्ट्रि‌यां इस जहर (तथाकथित घी) को बहुताय मात्रा में खरीदती है और मिलावट करके नकली शुद्ध देशी घी बनाकर सस्ते दामों में "पूजा वाला घी" बोलकर बेचती है। इस शुद्ध देशी घी को आप बिल्कुल नहीं पह‌चान सकेंगे कि यह नकली है। एसेंस (सेंट)डालकर इसे सुगंधित एवं दानेदार (रवादार) बनाया जाता है जिसके कारण लोग इसे असली शुद्ध देशी की समझकर बेधड़क खरीदकर प्रयोग करते हैं।

इसका सबसे ज्यादा प्रयोग भण्डारे कराने वाले भक्तजन ही करते हैं। लोग 15 किलो वाला टीन खरीद‌कर मंदिरों में दान करके अद्‌भुत पुण्य कमा रहे हैं। यही नहीं शादी समारोहों में बन‌ने वाली मिठाइ‌याँ,सब्जियों एवं अन्य खाद्‌य व्यंजनों में इसका धड़ल्ले से प्रयोग किया जा रहा है। इस कारण से खुद ‌को शाकाहारी समझने वाले लोग अनजाने में चटकारे लगाकर शादी समारोहों एवं धार्मिक अनुष्ठानों में भोजन कर रहे हैं और अनजाने में ही उनका धर्म भ्रष्ट हो रहा है, इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि शुद्ध देशी घी बेचने का दावा करने वाली बड़ी कम्पनि‌याँ अधिक से अधिक मुनाफा कमाने के लिए इस जहर को नहीं मिलाते होंगे। इसलिए शुद्ध देशी घी खाना है या पूजा एवं धार्मिक अनुष्ठानों में प्रयोग करना है तो घर में गाय या भैंस पाल कर शुद्ध घी प्राप्त करना होगा या किसी गाय-भैंस पालने वाले के घर तैयार शुद्ध देशी घी को खरीद कर प्रयोग करना होगा। लोगों से अनुरोध है कि सस्ते दामों पर बिकने वाले शुद्ध देशी घी का बहिष्कार कर धर्म भ्रष्ट होने से बचाएँ।
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