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मां का सोलह श्रृंगार

मां का सोलह श्रृंगार

आज माता का सोलह सिंगार कीजिए।
जगत जननी का सोलह सिंगार कीजिए।
बैठिये मां मैं अबटन लगा दूं आपको
हल्दी चंदन सुगंधित लगा दूं आपको
दूध दही घी मधू गुड़ स्नान कीजिए।
शुद्ध जल से हे माता स्नान कीजिए।१
आज माता का सोलह सिंगार कीजिए।
जगत जननी का सोलह सिंगार कीजिए।
लाल जोड़ा भी लाया हूं ये लीजिए
मां पहिरके ये दर्पण निहार लीजिए।
कंघी लाया बालों को संवार लीजिए
मांगों में कामी सिंदूर लगा लीजिए।२
आज माता का सोलह सिंगार कीजिए।
जगत जननी का सोलह सिंगार कीजिए।
रक्तचंदन का टीका लगा दूं आपको
फिर ये दर्पण में मुखड़ा निहार लीजिए।
मैं ये बिंदी भी सुंदर सा लाया हूं मां
इसे अपने ही हाथों लगा लीजिए।३
आज माता का सोलह सिंगार कीजिए।
जगत जननी का सोलह सिंगार कीजिए।
मैं ये फूलों का गजरा भी लाया हूं मां
अपने बालों में इसको सजा लीजिए।
मैं ये फूलों की माला पहरा दूं आपको
फिर ये दर्पण में मुखड़ा निहार लीजिए।४
आज माता का सोलह सिंगार कीजिए।
जगत जननी का सोलह सिंगार कीजिए।
मैने काजल का डिबिया और सुरमा लाया
अपने आंखों में इसको सजा लीजिए।
माता सिंदूर सिंधोरे में भरके लाया
इसे मांगों में अपने सजा लीजिए।५
आज माता का सोलह सिंगार कीजिए।
जगत जननी का सोलह सिंगार कीजिए।
हाथ पैरों में मेंहदी रचा दूं मैं मां
मेरी श्रद्धा भी पूरी होने दीजिए।
नाके नथिया और कानों का झुमका है ये
माता लीजिए इसे भी पहन लीजिए।६
आज माता का सोलह सिंगार कीजिए।
जगत जननी का सोलह सिंगार कीजिए।
चूड़ी लहठी भी मैंने ये लाया है मां
अपने हाथों में इनको पहन लीजिए।
बाजूबंद और कमरबंद भी लाया हूं मां
इसको लीजिए अब धारण भी कर लीजिए।७
आज माता का सोलह सिंगार कीजिए।
जगत जननी का सोलह सिंगार कीजिए।
ये अंगूठी और बिछिया जो लाया हूं मां
उंगलियों में इन्हें भी सजा लीजिए।
ये सुगंधित अतर मैंने लाया है मां
मैं छिड़क दूं यदि आज्ञा दीजिए।८
आज माता का सोलह सिंगार कीजिए।
जगत जननी का सोलह सिंगार कीजिए।
ये मुकुट छत्र और पादुका आपका
मैं डुलाऊं चंवर आज्ञा दीजिए।
अष्टमी का ये श्रृंगार मां आपका
सुशील करता रहे ऐसा वर दीजिए।९
आज माता का सोलह सिंगार कीजिए।
जगत जननी का सोलह सिंगार कीजिए।
-स्वरचित रचना

-सुशील कुमार मिश्र


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