भित्तियों के कान होते हैं|
डॉ रामकृष्ण मिश्रभित्तियों के कान होते हैं, सुना है दोस्तों।
इसलिए ही बोलना शायद मना है दोस्तों।।
कनमनाता है भले दिल ओठ खुल पाते नही ं।
साँस में शायद किसी का भय सना है दोस्तों ।।
शामियाने में अनेक प्रदर्श्य अनुभव के रखे।
किन्तु सब निष्प्राण से पर्दा तना है दोस्तों।।
गली घर आँगन अधीन्हा -सा कभी लगने लगे।
समझ लो कितना अँधेरा यह घना है दोस्तों।।
दैवदूतों,का यहाँ आना जरूरी हुआ है ।
आसुरी विद्रूपता ने दुख जना है दोस्तों।।
इन हवाओं में कभी सौरभ मुखर हो सके तो।
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इसलिए ही बोलना शायद मना है दोस्तों।।
कनमनाता है भले दिल ओठ खुल पाते नही ं।
साँस में शायद किसी का भय सना है दोस्तों ।।
शामियाने में अनेक प्रदर्श्य अनुभव के रखे।
किन्तु सब निष्प्राण से पर्दा तना है दोस्तों।।
गली घर आँगन अधीन्हा -सा कभी लगने लगे।
समझ लो कितना अँधेरा यह घना है दोस्तों।।
दैवदूतों,का यहाँ आना जरूरी हुआ है ।
आसुरी विद्रूपता ने दुख जना है दोस्तों।।
इन हवाओं में कभी सौरभ मुखर हो सके तो।
जानिए वह समय भी बरवश बना है दोस्तों ।।
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