Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

दूर जो वसे हैं, इधर आ नहीं सकते

दूर जो वसे हैं, इधर आ नहीं सकते

हम हैं अनजान,उधर जा नहीं सकते
रस्म ए मोहब्बत में खा लिया कसम
बार~बार हम कसम खा नहीं सकते
ख़ाकसार तुमसे क्या इश्क लगाएंगे
जो सितारे तोड़कर ला नहीं सकते
जमाने से अलहदा, तेरा गजरा मुजरा
तेरे साथ सुर में, हम गा नहीं सकते
दरिया का दिल भी तुमसे शर्मसार है
तेरे जैसी शोहरत हम पा नहीं सकते 
ज्योतींद्र मिश्र
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ