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दूर जो वसे हैं, इधर आ नहीं सकते

दूर जो वसे हैं, इधर आ नहीं सकते

हम हैं अनजान,उधर जा नहीं सकते
रस्म ए मोहब्बत में खा लिया कसम
बार~बार हम कसम खा नहीं सकते
ख़ाकसार तुमसे क्या इश्क लगाएंगे
जो सितारे तोड़कर ला नहीं सकते
जमाने से अलहदा, तेरा गजरा मुजरा
तेरे साथ सुर में, हम गा नहीं सकते
दरिया का दिल भी तुमसे शर्मसार है
तेरे जैसी शोहरत हम पा नहीं सकते 
ज्योतींद्र मिश्र
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