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लाल बहादुर शास्त्री

लाल बहादुर शास्त्री

भारत का था बड़ा रत्न महान जो ,
भारत का था कर्तव्यनिष्ठ लाल ।
भारत का सच्चा वीर बहादुर था ,
नहीं मन में कोई काला था दाल ।।
गरीबी में ही जो पला और बढ़ा था ,
गरीबी से खूब जूझा और लड़ा था ।
गरीबी में ही जो हुआ था सुशिक्षित ,
गरीबी को ही दिया महत्व बड़ा था ।।
गरीब नवजवान ही जवान हैं होते ,
गरीब नवजवान होते सच्चे किसान ।
दोनों भारत के होते सच्चे हैं पूरक ,
दोनों होते भारत के सच्चे अरमान ।।
सीमा पर तटस्थ हो हमारी रक्षा करते ,
हर ऋतुओं में हमारे बहादुर जवान ।
वतन की रक्षा हेतु सदैव तत्पर रहते ,
समर्पित करके तन मन निज प्राण ।।
दिन भर खेत में जो खेती है करता ,
सर्दी गर्मी वर्षा और धूप में किसान ।
कृषि प्रधानता को है साकार करता ,
जिससे हुआ भारत यह कृषि प्रधान ।।
इसीलिए तो दिया था उन्होंने नारा ,
यही सूक्ति जय जवान जय किसान ।
सत्य अहिंसा शांति सद्भाव दिखाकर ,
विश्व में बनाया निज विशेष पहचान ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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