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दिल मन कहता...

दिल मन कहता...

मन मेरा कुछ कहता है।
और दिल कुछ करता है।
देखो दोनों के बीच में।
युध्द निरंतर चलता है।।


दिलकी पीढ़ा दिल जाने
मन की बात मन मानें।
देख दोनों की हालत पर।
मानव कितना बेबस है।।


जो कुछ मैं कहता हूँ
जो कुछ तुम सुनते हो।
फिर भी दिलकी बातों पर
तुम क्यों रोज रोते हो।।


हालात ऐसे बन गये है।
देखो हमारे समाज के।
अपने ही अपनो से देखो।
कैसे और क्यों रूठ रहे।।


मान मनाऊँआ को तुम समझो।
कैसे दिल ये मचलता है।
दिलकी खुशीयों पर तुम देखो।
दिल का राज ही चलता है।।


जय जिनेंद्र

संजय जैन "बीना" मुंबई
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