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अब चंद्रचूड़ ने न्याय की देवी को दृष्टि दे दी ------डॉ ज्ञानेश भारद्वाज

अब चंद्रचूड़ ने न्याय की देवी को दृष्टि दे दी ------डॉ ज्ञानेश भारद्वाज

देश की आजादी के बाद 77 वर्षों के कालखंड में हर क्षेत्र में काफी परिवर्तन हुआ है। और यह क्रम बना हुआ है। इसी परिप्रेक्ष्य में न्याय की देवी की मूर्ति में परिवर्तन करने का साहसिक और प्रशंसनीय कदम सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश माननीय न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने उठाया है। पुरानी मूर्ति में यही संदेश प्रसृत होता रहा है कि कानून अंधा होता है। यह कहकर लोग ठीठोली करते थे क्योंकि न्याय की मूर्ति बनी देवी की आंखों पर पट्टी लगी थी जो यह दर्शाती थी कि बाएं हाथ में तलवार की अथॉरिटी आरोपित को सजा देने की शक्ति की प्रतीक है। लेकिन अब कानून अंधा नहीं है और यह सजा की प्रतीक भी नहीं है। पुरानी मूर्ति की आंख की पट्टी हटा दी गई है। और बाएं हाथ में तलवार के स्थान पर संविधान की किताब रखी गई है। यह समाज को अलग संदेश देती है और यह बताती है कि कानून भी अब अंधा नहीं, समझ के साथ है। इसके साथ दाएं हाथ में तराजू है जो समाज में संतुलन का प्रतीक है। और न्यायालय किसी नतीजे पर पहुंचने से पूर्व दोनों पक्षों के तथ्यों और तर्कों को देखते और सुनते हैं। मूर्ति का परिधान भारतीय है। नई मूर्ति को स्थापित करने का पूरा श्रेय सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश माननीय न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड को जाता है, जिन्होंने काफी विचार मंथन के बाद नई मूर्ति बनाने का आर्डर दिया। न्याय मूर्ति चंद्रचूड का मानना है कि भारतीय न्याय क्षेत्र को ब्रिटिश विरासत से आगे बढ़ना चाहिए। उनका यह भी मानना है कि कानून अंधा नहीं है। यह सभी को समान रूप से देखता है, अर्थात धन दौलत और समाज में वर्चस्व के अन्य मानकों को न्यायालय नहीं देखता है। इन्हीं बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए उन्होंने न्याय की देवी की मूर्ति के स्वरूप परिवर्तन करने का कार्य किया है, उसे मूर्तरूप दिया है । यह मूर्ति सर्वोच्च न्यायालय के जजों की लाइब्रेरी में लगा दी गई है। न्यायमूर्ति चंद्रचूड का प्रयास अत्यंत ही प्रशंसनीय और व्यापक स्वागत योग है। अब देश की सभी अदालत में नई मूर्ति लगाने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। हम सब उनके निर्णय की प्रशंसा करते हैं, व्यापक स्वागत करते हैं।
निर्णय और कार्य का स्वागत करने वाले प्रमुख जन हैं --आचार्य राधा मोहन मिश्रा माधव, विभिन्न सामाजिक संगठन से जुड़े भारतीय राष्ट्रीय ब्राह्मण महासभा एवं कौटिल्य मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ‍‍‍.विवेकानंद मिश्र, बोधगया मठ के स्वामी सत्यानंद गिरी जी महासभा एवं मंच के संरक्षक आचार्य वल्लभ जी महाराज शिवचरण डालमिया एवं स्वामी गोपालाचार्य ज्योतिष शिक्षा शोध संस्थान के निदेशक अधिवक्ता डॉ ज्ञानेश भारद्वाज, फिल्म अभिनेता राजेश कुमार, महेश बाबू गुपुत डॉ रवींद्र कुमार, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गजाधर लाल पाठक गंजाधर लाल कटरियार ऋषिकेश गुर्दा अधिवक्ता सुरेंद्र कुमार पाठक, अधिवक्ता दीपक पाठक, अधिवक्ता अपर्णा मिश्रा, अधिवक्ता क्रिनेश मिश्र , अधिवक्ता रविंद्र पाठक, अधिवक्ता उत्तम पाठक, अधिवक्ता विश्वजीत चक्रवर्ती भारतीय राष्ट्रीय ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय सचिव शक्ति मिश्रा कुरका भारतीय राष्ट्रीय ब्राह्मण महासभा के प्रदेश सचिव एवं जीरा मनी जगदीश इंस्टिट्यूट ऑफ़ फार्मेसी के अध्यक्ष हरिनारायण त्रिपाठी सत्येंद्र द्विवेदी बिहार प्रदेश हम पार्टी के वरिष्ठ नेता रामेश्वर प्रसाद यादव अधिवक्ता याहिया जी सुषमा देवी प्रदेश राजद के वरिष्ठ नेत्री रूबी देवी राजीव नयन पांडेय मृदुला मिश्रा सुबी नगमतिया तुषार राज हम नेत्री रीना सिंह पुष्प लता चौबे मोहम्मद सद्दाम प्रियंका मिश्रा आचार्य अभय पाठक मोहम्मद उमेर आचार्य रूपनारायण मिश्रा आचार्य अरुण मिश्रा मधुप अद्यतन भारत के संपादक रवि भूषण पाठक सत्येंद्र यादव रंजीत पाठक देवेंद्र नाथ मिश्रा देवेंद्र कुमार पाठक रामाज्ञा सिंह ओम सिंह चिंटू बाबू प्रोफेसर अशोक कुमार मानवाधिकार के रवि कुमार रविंद्र सिंह देवकोठी जदयू नेता अरविंद सिंह कवित्री रानी मिश्रा किरण पाठक राजेश त्रिपाठी शंभू गिरी कविता राउत शारदा साहिबा अधिवक्ता राशिद फूल कुमारी यादव कौटिल्य मंच के इरशाद अहमद पार्वती तसलीमा तरन्नुम नुसरत अधिवक्ता पूजा कुमारी धीरज कुमार बृजेश राय, कुमार विक्रम,रणविजय सिंह, मनीष कुमार ,
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