भूल जाईये दीपावली पर उपदेश,
अब नव वर्ष पर ज्ञान फैलाइये।दीपावली तो त्योहार जन जन का,
वैज्ञानिक महत्व भी समझ आइये।
वर्षा ऋतु के बाद कीटों का आगमन,
पटाखों के धुयें से उनको मिटाइये।
दीवाली तो उत्सव खुशियों के नाम,
शरद का स्वागत, फसलों को लाइये।
न नयी फसल, न ही ऋतु परिवर्तन,
नववर्ष पर नया क्या, हमको बताइये?
जम जाता दही मुँह में, नववर्ष नाम पर,
घना कोहरा, जा कर प्रदूषण फैलाइये।
अ कीर्ति वर्धन
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