Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

धुआँ-धुआँ है सारा मंडल बच कर कौन कहाँ जाए।

धुआँ-धुआँ है सारा मंडल बच कर कौन कहाँ जाए।

डॉ रामकृष्ण मिश्र
धुआँ-धुआँ है सारा मंडल बच कर कौन कहाँ जाए।
फैली वारूदी दहसत है बचकर कौन कहाँ जाए।।
सारी धरती कुरु क्षेत्र -सी कौरव दहशतगर्द बने।
शकुनि शत्रु सम्पन्न देश हैं बचकर कौन कहाँ जाए।।
आतंकी निष्ठुरता की मूरत हत्या का आभ्यासी।
गली - गली बहसी संतापक बचकर कौन कहाँ जाए। ।
घर में घुसकर आस्यीन के विषधर उगल रहे विष बीज।
उजले- उजले कुर्ते दागी बच कर कौन कहाँ जाए।।
अब तो आया है बगुलों -गिद्धों से बचने का मौसम।
साहस और जुगाड लगाएँ बच कर कौन कहाँ जाए।।
घर अपना साँपों का डेरा है फिर तो खेलें हम साथ। 
अथवा तहस- नहस कर डालें बच कर कौन कहाँ जाए।।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ