भारत की राष्ट्रभाषा' के लिए अनवरत संघर्ष के संकल्प के साथ बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन का ४३वाँ महाधिवेशन हुआ संपन्न|
- ७३ हिन्दी-सेवियों को विविध अलंकरणों से किया गया सम्मानित, प्रो महेंद्र मधुकर को 'विद्या वाचस्पति'।
पटना, १८ मार्च। हिन्दी को भारत की राष्ट्रभाषा घोषित किए जाने तक अनवरत संघर्ष के संकलप के साथ, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के १०६ठे स्थापना दिवस समारोह और दो दिवसीय ४३वें महाधिवेशन का समापन हो गया। इस अवसर पर, समारोह के उद्घाटनकर्ता और पूर्व केंद्रीय मंत्री डा सी पी ठाकुर तथा मुख्य अतिथि बिहार के अपर मुख्य सचिव मिहिर कुमार सिंह ने ७३ हिन्दी सेवियों को विविध अलंकरणों से सम्मानित भी किया गया। प्रदेश के विश्रुत विद्वान प्रो महेंद्र मधुकर को सम्मेलन की सर्वोच्च मानद उपाधि प्रदान की गयी।
इस अवसर पर सुप्रसिद्ध लेखक डा ओम् प्रकाश पाण्डेय की पुस्तक 'भारतीय संस्कृति के विविध आयाम' तथा लेखिका डा नम्रता कुमारी की पुस्तक 'थारु जनजाति की धार्मिक मान्यताएँ' का लोकार्पण भी किया गया।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कहा कि, हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा बनायी जाए, इसलिए उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री एवं अन्य मंत्रियों को भी पत्र लिखे हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय से पत्र प्राप्ति की पुष्टि भी हुई है और यह भी बताया गया है कि यह प्रस्ताव सकारात्मक है। किंतु इसे कब तक लागु किया जाएगा, इस संबंध में कोई सूचना अभी तक नहीं दी गयी है। उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि हिन्दी शीघ्र देश की राष्ट्रभाषा घोषित होगी।
डा सुलभ ने सभा में यह प्रस्ताव रखा की जब तक हिन्दी 'भारत की राष्ट्रभाषा' घोषित नहीं होती, तबतक यह संघर्ष अनवरत जारी रहेगा'। पूरी सभा ने करतल-धवनि के साथ इस प्रस्ताव का अनुमोदन किया।
ख्यातिलब्ध गीतकार पं बुद्धिनाथ मिश्र, मेरठ विश्व विद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो रवींद्र कुमार, चंडीगढ़ के विद्वान साहित्यकार डा जसबीर चावला, अयोध्या के सुविखात साहित्यकार विजय रंजन ने भी अपने विचार व्यक्त किए। अतिथियों का स्वागत सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन डा मधु वर्मा ने किया। मंच का संचालन अनुपमा सिंह ने किया।
चतुर्थ वैचारिक सत्र
आज महाधिवेशन के दूसरे दिन का आरंभ चौथे सत्र के साथ हुआ, जिसका विषय था- 'विश्व बंधुत्व की अवधारणा और भारत'। इस सत्र का उद्घाटन करते हुए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अध्यक्ष प्रो सूर्य प्रसाद दीक्षित ने कहा कि जाति, संप्रदाय, वर्ण, लिंग, क्षेत्रीयता आदि संकीर्ण विचारों से विश्व-बंधुत्व की भारतीय अवधारणा खंडित होती है। सभी अपनी आस्थाओं, उपासना-पद्धतियों, मान्यताओं और विचारों के अनुसार चलें यह उचित है, किंतु इससे किसी अन्य की स्वतंत्रता पर आघात नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम विश्व-बोध से जुड़े हुए हैं। हिन्दी में यह यह भावना समग्र विश्व में प्रकट हुई है।
सत्र के मुख्य वक्ता डा जसबीर चावला ने कहा कि १०वें गुरु गोविंद सिंह जी महाराज ने कहा- “मानस की जात सभै एक ही पहचानबो"। यह भारत के विश्व-बंधुत्व की प्राचीन अवधारणा की ही अभिव्यक्ति है। हमारी इस धारणा में 'मानवता' और 'मानव-प्रेम' ही मुख्य स्वर है।
विशिष्ट वक्ता डा विपिन कुमार ने कहा कि बिहार ने ही संसार को लोकतंत्र का पाठ पढ़ाया। भारत से ही विश्व को शांति का पाठ और ज्ञान प्राप्त हुआ। इसीलिए संसार भारत को विश्व-गुरु मानता है।
सत्राध्यक्ष प्रो महेंद्र मधुकर ने कहा कि भारत चाहता है कि वह संपूर्ण विश्व में व्याप्त हो। 'यह मेरा है, यह तेरा है' की समझ एक संकीर्ण भावना है। यह भारतीय दृष्टि नहीं है। हिन्दी संतों और सिद्धों की भाषा है। जबलपुर के साहित्यकार अमरेन्द्र नारायण के आलेख का पाठ डा पुष्पा जमुआर ने किया। अतिथियों का स्वागत प्रो सुशील कुमार झा ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन कृष्ण रंजन सिंह ने किया। सत्र का संयोजन डा रेखा भारती ने किया।
पंचम वैचारिक सत्र
आज के अंतिम और वैचारिक सत्र का विषय था 'साहित्य के नए प्रश्न', जिसकी अध्यक्षता बिहार सरकार में विशेष सचिव रहे साहित्यकार डा उपेंद्रनाथ पाण्डेय ने किया। इस सत्र में डा वंदना बाजपेयी, डा रत्नेश्वर सिंह, तथा विजय रंजन ने अपने आलेख पढ़े। स्वागत चित्तरंजन भारती ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन कुमार अनुपम ने किया।
वैचारिक- सत्रों के पश्चात देहरादून से पधारे अंतर्राष्ट्रीय स्तर के गीतकार पं बुद्धिनाथ मिश्र की अध्यक्षता में एक विराट राष्ट्रीय कवि-सम्मेलन आहूत हुआ, जिसमें साहित्य अकादमी से पुरस्कृत कवयित्री संस्कृति मिश्र, रमेश कँवल, कुसुम सिंह 'लता', आराधना प्रसाद, आदित्य रहबर, चिदाकाश सिंह 'मुखर', सिपाही पाण्डेय 'मनमौजी', महेश्वर ओझा 'महेश', आरपी घायल, श्री भगवान पाण्डेय, लक्ष्मी सिंह, माला कुमारी,दिव्या मणिश्री, तलत परवीन, ई अशोक कुमार, नीलम श्रीवास्तव, कुमारी स्मिता, ऋता शेखर 'मधु', सुनील चंपारणी समेत पचास से अधिक कवियों और कवयित्रियों ने अपने काव्य-पाठ से सम्मेलन को सारस्वत ऊँचाईं प्रदान की।
इनका हुआ सम्मान;-
- प्रो महेन्द्र मधुकर : सर्वोच्च मानद उपाधि "विद्यावाचस्पति"
- डा चन्द्रकिशोर पाण्डेय 'निशान्तकेतु' : महापंडित राहुल सांकृत्यायन सम्मान
- प्रो रवीन्द्र कुमार, पूर्व कुलपति, मेरठ : आचार्य शिव पूजन सहाय सम्मान
- श्री कुँवर वीर सिंह मार्तण्ड, कोलकाता : आचार्य नलिन विलोचन शर्मा सम्मान
- श्री विजय रंजन ,अयोध्या : फणीश्वर नाथ 'रेणु' सम्मान
- डा जसबीर चावला, चंडीगढ़ : रामवृक्ष बेनीपुरी स्मृति सम्मान
- श्री महेश बजाज, पुणे : पोद्दार रामावतार 'अरुण' सम्मान
- डा रत्नेश्वर सिंह : केदार नाथ मिश्र 'प्रभात' सम्मान
- श्रीमती ऋता शेखर 'मधु', बंगलुरु : महीयसी डा मृदुला सिंहा स्मृति सम्मान
- डा वंदना बाजपेयी, दिल्ली : उर्मिला क़ौल साहित्य साधना सम्मान
- श्री ज्योतींद्र मिश्र : कविवर गोपाल सिंह 'नेपाली'सम्मान
- श्रीमती ममता मेहरोत्रा : शांता सिन्हा स्मृति-सम्मान
- डा केकी कृष्ण, हाजीपुर : विदुषी कृष्णा सिंह स्मृति सम्मान
- प्रो मधुप्रभा सिंह, खगौल, पटना : बच्चन देवी साहित्य साधना सम्मान
- डा हरेराम सिंह , रोहतास : पं रामदयाल पाण्डेय स्मृति सम्मान
- श्रीमती कुसुम सिंह 'लता', दिल्ली : अंबालिका देवी सम्मान
- डा वंदना विजय लक्ष्मी, मुज़फ़्फ़रपुर : डा उषा रानी 'दीन' स्मृति सम्मान
- डा प्रियंवदा दास, मुज़फ़्फ़रपुर : डा वीणा श्रीवास्तव स्मृति सम्मान
- श्रीमती नीता सागर चौधरी , जमशेदपुर : डा ललितांशुमयी स्मृति सम्मान
- श्रीमती ज्योति झा, पुणे : डा शांति जैन स्मृति सम्मान
- श्रीमती अर्चना कुमारी ,समस्तीपुर : विदुषी गिरिजा वर्णवाल सम्मान
- डा अवन्तिका कुमारी : प्रकाशवती नारायण सम्मान
- प्रो मृदुल कुमार शरण, छपरा : पं छविनाथ पांडेय सम्मान
- श्री कृष्ण मोहन मिश्र : आचार्य देवेंद्र नाथ शर्मा सम्मान
- मुहम्मद तारिक असलम 'तस्नीम' : राजा राधिका रमण प्रसाद सिंह सम्मान
- प्रो उमाशंकर सिंह , जहानाबाद : पं मोहन लाल महतो 'वियोगी' सम्मान
- श्री अनिल कुमार सहाय , भागलपुर : कलक्टर सिंह 'केशरी' सम्मान
- डा निरुपमा राय, पूर्णिया : डा सुभद्रा वीरेन्द्र स्मृति सम्मान
- सुश्री संस्कृति मिश्र : विदुषी शैलजा बाला स्मृति सम्मान
- श्री सिपाही पाण्डेय 'मनमौजी' : ब्रजनंदन सहाय 'ब्रजवल्लभ' सम्मान
- श्रीमती कुमारी किरण , दिल्ली : विदुषी बिन्दु सिन्हा स्मृति सम्मान
- डा आनन्द मोहन सिन्हा, आरा : डा धर्मेन्द्र ब्रह्मचारी शास्त्री सम्मान
- श्री अमित कुमार मल्ल : राम गोपाल शर्मा 'रूद्र' सम्मान
- श्री आदित्य रहबर : महाकवि आरसी प्रसाद सिंह सम्मान
- श्री ओम् प्रकाश वर्मा : रामधारी प्रसाद विशारद सम्मान
- डा रश्मि रंजन सिन्हा : डा उषा किरण खान स्मृति सम्मान
- श्री अरविन्द कुमार, औरंगाबाद : कामता प्रसाद सिंह 'काम' सम्मान
- श्री नीतीश राज, गया : डा मुरलीधर श्रीवास्तव 'शेखर'सम्मान
- श्रीमती लक्ष्मी सिंह रूबी , जमशेदपुर : कुमारी राधा स्मृति सम्मान
- श्री अतुल मोहन प्रसाद, बक्सर : पं राम दयाल पांडेय सम्मान
- प्रो अरुण मोहन भारवि, बक्सर : डा परमानन्द पाण्डेय सम्मान
- डा लक्ष्मी कुमारी, हाजीपुर : रमणिका गुप्ता स्मृति सम्मान
- श्री रत्नेश कुमार , हाजीपुर : पं छविनाथ पाण्डेय स्मृति सम्मान
- श्री अश्विनी कुमार 'आलोक' : आचार्य श्रीरंजन सूरिदेव स्मृति सम्मान
- श्री कुमार बिंदु, रोहतास : बाबा नागार्जुन सम्मान
- श्री लोक नाथ तिवारी 'अनगढ़', रोहतास : पं जगन्नाथ प्रसाद चतुर्वेदी सम्मान
- डा अभिषेक कुमार : डा रामप्रसाद सिंह लोक-साहित्यसम्मान
- श्री भगवान पाण्डेय , बक्सर : पं प्रफुल्ल चंद्र ओझा 'मुक्त' सम्मान
- प्रो प्रभाकर पाठक, दरभंगा : महाकवि काशीनाथ पाण्डेय सम्मान
- श्रीमती संगीता मिश्र, पटना : चतुर्वेदी प्रतिभा मिश्र साहित्य सम्मान
- डा अनुराग शर्मा, सुल्तानपुर (उ प्र) : पं हंस कुमार तिवारी स्मृति सम्मान
- डा अंजनी कुमार सुमन : डा कुमार विमल सम्मान
- श्री संतोष कुमार महतो, असम : पं रामचंद्र भारद्वाज सम्मान
- श्री धर्मेन्द्र कुमार, पलामू, झारखंड : रघुवीर नारायण सम्मान
- श्री वशिष्ठ पाण्डेय, बक्सर : पं राम नारायण शास्त्री स्मृति सम्मान
- श्री शंभु कमलाकर मिश्र : प्राचार्य मनोरंजन प्रसाद सिन्हा सम्मान
- प्रो देवेन्द्र कुमार सिंह : प्रो सीताराम सिंह 'दीन' स्मृति सम्मान
- श्री मयंक, पुनाईचक, पटना : डा शैलेंद्रनाथ श्रीवास्तव स्मृति सम्मान
- डा भीम सिंह 'भवेश' : प्रो मथुरा प्रसाद दीक्षित स्मृति सम्मान
- श्री अंजनी कुमार पाठक : जगन्नाथ प्रसाद मिश्र गौड़ 'कमल' सम्मान
- श्री सुरेंद्र प्रसाद सिंह, तरियानी, शिवहर : डा रवीन्द्र राजहंस स्मृति सम्मान
- डा शिव बालक राय 'प्रभाकर', हाजीपुर : प्रो अमरनाथ सिन्हा स्मृति सम्मान
- श्री राम रतन प्रसाद सिंह 'रत्नाकर' : साहित्यसारथी बलभद्र कल्याण सम्मान
- श्री आलोक रंजन, दिल्ली : डा श्यामनंदन किशोर स्मृति सम्मान
- डा दिनेश प्रसाद साहू : प्रो केसरी कुमार स्मृति सम्मान
- श्री मदन मोहन ठाकुर, सीतामढ़ी : राष्ट्रभाषा प्रहरी नृपेंद्रनाथ गुप्त सम्मान
- श्री कुमोद कुमार वर्मा, शिवहर : डा नरेश पाण्डेय 'चकोर' स्मृति सम्मान
- श्रीमती हेमा सिंह, शिवहर : डा सुलक्ष्मी कुमारी स्मृति-सम्मान
- श्रीमती स्मिता : विदुषी अनुपमानाथ स्मृति सम्मान
- डा सैयद मोहम्मद एजाज़ रसूल : पीर मुहम्मद मूनिस सम्मान
- श्री बिपिन बिहारी श्रीवास्तव : डा नगेंद्र प्रसाद मोहिनी कला सम्मान
- सुश्री मनीषा पाल : अनुपमा नाथ स्मृति सम्मान
- श्री अनुभव राज , मुज़फ़्फ़रपुर : प्रतिभाशाली विशेष किशोर सम्मान
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