साहित्य के साधक
सत्य निष्ठ साहित्य के साधक ,पावन धरा भी तेरे आराधक ।
हो जाऍंगे नष्ट समूल वे मानव ,
मार्ग में आऍंगे जो बन बाधक ।।
साहित्य ही ईश का अरमान है ,
साहित्य ही ईश का फरमान है ।
साहित्य में गौर से झाॅंक देखो ,
साहित्य में ईश विराजमान है ।।
साहित्य काव्य ही संस्कार है ,
साहित्य काव्य जीवन शृंगार है ।
बना कोई साहित्य का दुश्मन ,
साहित्य काव्य बनता अंगार है ।।
संस्कार का अरि साहित्य अरि ,
साहित्य काव्य भरा संस्कार है ।
लेता रहेगा साहित्य सदा लोहा ,
कभी माननेवाला नहीं हार है ।।
ईश सा तेरा साहित्य व्यापक ,
नहीं आज तक इसका मापक ।
साहित्य जीवन मित्र है होता ,
साहित्य नहीं जीवन घातक ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com