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कौन कहे!

कौन कहे!

डॉ. मेधाव्रत शर्मा, डी•लिट•
(पूर्व यू.प्रोफेसर)
"नदी-नाव-संयोग जीव ",कल मिलना होगा,
                                                कौन कहे!

खुशबू खूब बिखेरो फिर कल खिलना होगा,
                                                कौन कहे!

मुश्किल से है आज जुन्हाई खिड़की से बिस्तर पर आई
जी लो क्षण में आज कल्प,फिर जुड़ना होगा,
                                                कौन कहे!

आने की उम्मीद जदपि जाने के बाद बनी रहती है,
सुख-दुख आज बँटा लो,फिर कल मिलना होगा,
                                                    कौन कहे!

दिलअज़ीज़ जो आज बहुत है,कल रक़ीब बन जाएगा,
फर्ज आज का दोस्ताना कल निभना होगा,
                                                कौन कहे!

मतलबियों की भीड़ में यहाँ सच्चे साथी की तलाश है,
फाँसी के तख्ते तक जिससे मिलना होगा ,
                                            कौन कहे!

जिनसे थी उम्मीद बहुत वो कब के मुझको छोड़ गए,
कब सलेट पर लिक्खा आखर मिटना होगा,
                                                कौन कहे!
('यद्यपि' के स्थान पर 'जदपि 'तद्भव उर्दू के तकाजे से है। 'जुन्हाई ' ज्योत्स्ना 'का तद्भव। )
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