इस रंग बदलती दुनिया में,
घुटन सा हो रहा है।मुंह और आंखें ही नहीं,
अब तो दिल भी रो रहा है।।
जिधर देखो उधर,
बस मतलब तक यारी है।
लुट रहे हैं सभी,
आज मेरी तो कल तेरी बारी है।।
अब रहा नहीं धर्म,
और ना रहा ईमान।
यह जगत अब बसेरा ना रहा,
अब हो गया श्मशान।।
यहाँ चारों तरफ,
केवल गिद्ध मड़रा रहे हैं।
अब लाशों को कौन कहे,
ये तो जिन्दों को खा रहे हैं।।
हद तो तब है जब,
इनके पेट में सब समा जा रहा है।
ये डकारते भी नहीं हैं,
अंदर सब कुछ पचते जा रहा है।।
मुखौटा जितना ही समतल है,
अंदर उतनी ही खाई है।
किस किस मौत पर आंसू बहाओगे,
अब तो महामारी सी आई है।।
जय प्रकाश कुवंर
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com