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उत्तरप्रदेश के बहराइच में कौन कर रहा है अंग्रेजों का काम?

उत्तरप्रदेश के बहराइच में कौन कर रहा है अंग्रेजों का काम?

मानिक देशमुख
जब आपका ध्यान किसी और जगह लगा रहता है तब ही जेबकतरे मौका देखकर आपकी जेब से पर्स चुरा लेते हैं। सबसे अच्छा मौका बस या ट्रेन में चढ़ते समय जब आप सीढ़ियों पर अपना ध्यान केंद्रित कर सम्भल कर चढ़ते हैं तब होता है। तभी जेबकतरे जेब से आपका पर्स या मोबाइल आसानी से चुरा कर भाग जाते हैं। कई लोगों को तो तुरंत पता भी नहीं चलता कि उनके जेब से चोरी हो गई है। मेरे साथ भी कई बार ऐसा हुआ है और पुलिस में रिपोर्ट लिखवाने के बाद भी आज तक न कभी पर्स वापिस मिला न ही मोबाइल। महत्वपूर्ण बात यह है कि जब हम भारत के लोग हिन्दू मुस्लिम की नफरत फैलानेवाली बातों पर अपना ध्यान लगाये रहते हैं तभी देश और दुनिया के गद्दार अंग्रेज अपने धर्म में हमारे देश के गरीब आदिवासी लोगों का धर्म परिवर्तन करा रहे होते हैं। धर्मांतरण कराया क्यों जा रहा है? इसका जवाब यह है कि जब ईसाई धर्म के लोग भारत में सबसे अधिक हो जायेंगे। तब अंग्रेज फिर प्रत्यक्ष रूप से भारत पर शासन कर हमें गुलाम बना लेंगे और अधिकतम जनता ईसाई बनने के कारण अंग्रेजों का विरोध भी नहीं करेगी क्योंकि अंग्रेजों का धर्म ईसाई है। भारत की जनता को यह भी देखना चाहिये कि आज अंग्रेजों के मतलब ईसाई मिशनरियों के कानून देश की जनता पर थोपे जा रहे हैं लेकिन हिन्दू और मुस्लिम धर्म के अनुसार हजारों वर्षों से चले आ रहे कानूनों, नियमों और व्यवस्थाओं को बिगाड़ा जा रहा है। इस मामले में हिन्दू धर्म आज की स्थिति में सबसे ज्यादा प्रताड़ित है, इन देश और दुनिया के गद्दार अंग्रेजों के कारण। पास्को एक्ट में देश के सबसे बड़े संत श्री आशारामजी बापू झूठे मामले में कैद हैं‌। जिस लड़की ने यह आरोप लगाया उसकी दस्तावेजों में उम्र बालिग है फिर भी ईसाई मिशनरियों ने षड्यंत्र कर संत श्री आशारामजी बापू को इसलिये जेल भेजकर उम्र कैद की सजा करवा दी क्योंकि इस भारत देश में एक राजीव दीक्षित थे जो भारत को आजाद करने में लगे थे उन्हें जहर देकर मार डाला दूसरे संत श्री आशारामजी बापू है जिनको बलात्कार के झूठे मामले में बदनाम करके जेल में डाल दिया गया है। जब 1818 में भीमा कोरेगांव की लड़ाई हुई थी उसके पहले महारों ने अंग्रेजों की ईस्ट इंडिया कंपनी के विरोध में लड़ाई लड़ने के लिये पेशवाओं से कहा था लेकिन पेशवाओं ने उन्हें अपमानित कर भगा दिया। देश और दुनिया के गद्दार अंग्रेजों ने इस बात का फायदा उठाकर महारों को समाज में समानता देने और सरकारी नौकरी की बहुत सारी सुविधाएं गिनाकर अपनी सेना में शामिल कर लिया। आज जितनी सुविधायें सरकारी नौकरी में मिल रही है अंग्रेजों के समय उससे भी ज्यादा दी क्योंकि भारत के लोगों पर अत्याचार करने के लिये बहुत ही उच्च स्तर के गद्दार लोग उनकी सरकारी नौकरी को स्वीकार करते थे। पेशवाओं पंडितों ने अनुसूचित जाति के महारों का कितना भी अपमान किया हो लेकिन महारों को देश और दुनिया के गद्दार अंग्रेजों का साथ नहीं देना चाहिये था। अगर पेशवाओं पंडितों से बदला लेना था तो उनसे व्यक्तिगत लड़ाई लड़ लेते भले ही उन पेशवाओं पंडितों की जान भी ले लेते तो भी उनके अपमान का बदला पूरा हो जाता। इस तरह तो महारों ने अंग्रेजों का साथ देकर पूरे भारत की अपने वर्ग की जातियों सहित सभी जातियों और धर्मों के लोगों को गुलाम बना दिया। देश और दुनिया के गद्दार अंग्रेज भी पेशवाओं पंडितों से लड़वाने के लिये 500 महारों की ही सेना लाये जानबूझकर ताकि देश और देश के विरोधियों की लड़ाई को जातिगत अपमान की लड़ाई साबित कर सके। सैकड़ों वर्ष पुराने इतिहास की बात हम इसलिये कर रहे हैं क्योंकि भारत के लोगों को तो अधिकतम अपने पिता के बाद पिता के पिता दादा तक ही नाम याद रहता है। अगर दादा के पिता का नाम पूंछों तो भारत में गिने चुने लोग ही बता पायेंगे। जबकि अंग्रेजों की योजनाबद्ध व्यवस्था लगभग 300 साल से चल रही है। आज भारत में आपको पंडितों और दलितों को लड़ाने की जरूरत नहीं है वे स्वाभाविक ही लड़ रहे हैं। हिन्दू और मुसलमान को भी लड़ाने की जरूरत नहीं है वे भी स्वाभाविक ही लड़ रहे हैं। आपस में लड़ाने और फूट डालकर शासन करने के जिस षड्यंत्र का बीज अंग्रेजों ने 300 साल पहले बोया था अब वह वृक्ष बनकर फल देने लगा है। भारत के अधिकतम लोग जातियों और हिन्दू मुस्लिम की लड़ाई में लगे हैं और अंग्रेज जो ईसाई है अपने 300 साल पुराने मिशन के अनुसार भारत के लोगों का धर्म परिवर्तन करा रहे हैं। यह 1734 में अंग्रेजों के कानून और व्यवस्था के अनुसार स्थापित की गई सुप्रीम कोर्ट के अनुसार अपराध भी नहीं है। जिन देश और दुनिया के गद्दार अंग्रेजों ने झूठ बोलकर षड्यंत्रपूर्वक भारत के दो टुकड़े कर पाकिस्तान बनाया उन्हीं ने पाकिस्तान की ओर से आतंकवादियों को हथियार भेजकर साजिशें और करगिल जैसे युद्ध करवाये है ताकि भीमा कोरेगांव में जिस तरह पेशवाओं पंडितों से केवल एक ही जाति के 500 महारों को लड़ाकर जातिगत भावनायें आज भी भड़का कर रखी है उसी तरह हिन्दू मुस्लिम की भावनायें भड़कती रहें।

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