शैल पुत्री दर्शन से,खिल रही जीवन फुलवारी
वंदन मां भवानी प्रथम रूप,रज रज आध्यात्म उजास ।
नवरात्र भव्य शुभारंभ बेला,
परिवेश उत्संग उमंग उल्लास ।
योग साधना दिव्य श्री गणेश,
साधक मूलाधार चक्र धारी ।
शैलपुत्री दर्शन से, खिल रही जीवन फुलवारी ।।
हिमालय सुता पुनीत दर्श,
असीम मंगल फलदायक ।
सुख समृद्धि सरित प्रवाह,
जन चेतना स्नेह प्रेम नायक ।
वर्षभ आरूढ़ त्रिशूल कमल धर,
मां दुःख कष्ट पीड़ा उपचारी ।
शैलपुत्री दर्शन से, खिल रही जीवन फुलवारी ।।
पूर्व जन्म मां शैल पुत्री,
प्रजापति दक्ष सुकन्या ।
परिणय शिव शंकर संग,
शोभित सती नाम अनन्या ।
फिर पितृ यज्ञ पति अपमान ,
निज प्राण योगाग्नि वारी ।
शैलपुत्री दर्शन से, खिल रही जीवन फुलवारी ।।
हिमपुत्री स्वरूपा मां दुर्गा,
महत्ता अलौकिक अपार ।
जीवन सम वैभव अर्णव,
अंतर्मन सुरभि आनंद बहार ।
कोटि कोटि नमन श्री चरण,
मां सदा कृपासिंधु अवतारी ।
शैलपुत्री दर्शन से, खिल रही जीवन फुलवारी ।।
कुमार महेन्द्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
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