रंगोली अब द्वार सजाओ
आओ सखियाॅं आओ ,रंगोली थाल ले आओ ।
माॅं लक्ष्मी के स्वागत में ,
रंगोली अब द्वार सजाओ ।।
नवपात्र क्रय किए कल ,
बाहर करो यम का दीप ।
करो पावन घर ये अपने ,
प्रातः धोओ या दो लीप ।।
द्वार सुंदर रंगोली बनाओ ,
घर द्वार को तुम सजाओ ।
आनेवाली लक्ष्मी माता ,
दीप जला हर्ष मनाओ ।।
बंद करो पटाखे छोड़ना ,
वायु प्रदूषित हो रहा है ।
हो रही पर्यावरण प्रदूषित ,
जीव आयु खो रहा है ।।
दीपावली है हर्ष त्यौहार ,
हर्षोल्लास से मनाओ ।
गीता मीता सीता सखि ,
रंगोली अब द्वार सजाओ ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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