रिश्ते
रिश्ते निभने - निभाने का मोहताज नहीं ,मोहजात है वो अच्छे मनोभावों का ।
तन व मन कड़वाहट का मोहताज नहीं,
मोहताज है वो सद्गुणों व सदाचार का ।
जीवन में ना चलना कठिन है न चलाना,
कठिन है तो सिर्फ गिरकर उठ जाना।
बोलना या बतियाना कोई मुश्किल नहीं,
मुश्किल तो है पलभर खामोश रहना ।
जीवन की खामोशी ही उसका अंत है,
जीवन प्रेमासिक्त है तो वह जीवंत है।
आपसी प्रेम ही रिश्ते को देता है संबल,
बिना प्रेम-बंधुत्व के रिश्ते भी हैं दुर्बल।
सुरेन्द्र कुमार रंजन
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