वह लड़की दीप वर्तिका सी
मनभावन भाव भंगिमा,तन मन अति सुडौल ।
सौम्यता व्यवहार अंतर,
हिय प्रिय मधुर बोल।
अधुना चमक दमक संग,
शुभ मंगल दर्शिता सी ।
वह लड़की, दीप वर्तिका सी ।।
अंग प्रत्यंग चहक महक ,
मस्त मलंग उभार बिंदु ।
आचार विचार मर्यादामय
उरस्थ परंपरा संस्कार सिंधु ।
ज्ञान ध्यान निज सामर्थ्य ,
हौसली उड़ान गर्विता सी ।
वह लड़की, दीप वर्तिका सी ।।
चाह सर्वत्र आलोक प्रभा,
मिटा सघन तिमिर आरेख ।
ललक झलक प्रेरणा सेतु,
अति आनंद पर खुशियां देख ।
तज अंध विश्वास कुरीतियां,
समता समानता वर्षिता सी ।
वह लड़की, दीप वर्तिका सी ।।
परिवार समाज राष्ट्र पटल,
नित स्थापित नव कीर्तिमान ।
सहर्ष निर्वहन हर भूमिका,
निर्धन शोषित प्रदत्त मुस्कान ।
तज निज स्वार्थ संकीर्णता,
सर्व सुख समृद्धि हर्षिता सी ।
वह लड़की, दीप वर्तिका सी ।।
कुमार महेन्द्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
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