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हम बिहार वाले हीरे होते हैं|

हम बिहार वाले हीरे होते हैं|

थोड़े उलझे थोड़े सीधे होते हैं,
हम बिहार वाले दिल से 'हीरे' होते हैं...
झूठ बोलना हमें नहीं भाता,
छल-कपट से नहीं अपना नाता,
जिसपर कर लेते हैं विश्वास,
उनका निभाते जन्मों तक साथ।
चापलूसी से दूर ही रहते,
अक्खड़ तभी सब हमको कहते।
पढ़ाई में या तो बहुत अव्वल,
या फिर सबसे नीचे स्तर पर,
बीच-बीच में हम कभी न रहते,
अपनी मेहनत का दम हैं भरते।
दिल होता है अपना बड़ा,
पैसों की नहीं करते परवाह,
बिहार की बोली पर सब 'मीम'बनाते,
पर तुम्हारे 'मैं'के अहंकार को,
बिहारी 'हम' से दूर कर जाते।
रिश्ते जब हम बनाते हैं,
बर्दाश्त की आख़िरी हद तक निभाते हैं,
जब चोट कोई दे जाता है बार बार,
फिर कभी न करते उसपे ऐतबार।
रुख़ मोड़ लेते उधर से चुपचाप,
पर ज़माने में कर दें उनकी रुसवाई...
इतने नहीं हम गिरे होते हैं।
हाँ, हम बिहार वाले दिल से हीरे होते हैं...
डॉ. रीमा सिन्हा (लखनऊ ) स्वरचित
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